मध्य प्रदेश का एक ऐसा गांव है, जहां हर घर में बातचीत के लिए संस्कृत भाषा का उपयोग होता है.
इस गांव में हर कोई दिन की शुरुआत गुड मॉर्निंग से नहीं, बल्कि नमो-नमः से करता है.
इस गांव में रहने वाला हर व्यक्ति, चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम, संस्कृत ही बोलता है.
हम जिस गांव की बात कर रहे हैं, वह राजगढ़ जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर स्थित झिरी गांव है.
इस गांव के घरों की दीवारों पर संस्कृत में श्लोक लिखे हुए हैं. यहां के लोगों ने आज भी संस्कृत भाषा को जीवित रखा है.
झिरी गांव में लोगों को संस्कृत सिखाना 2002 में विमला तिवारी नामक एक सामाजिक कार्यकर्ता ने शुरू किया था.
इस गांव में लोगों ने अपने घरों के नाम भी संस्कृत में लिखे हैं. गांव की 70 प्रतिशत आबादी संस्कृत बोलती है.
यहां स्कूलों के साथ-साथ मंदिरों और गांव की चौपालों पर भी बच्चों को संस्कृत की शिक्षा दी जाती है.
करीब 1500 की आबादी वाला यह गांव अपने आप में काफी अनोखा है.