इसलिए ज्येष्ठ माह में 2 बार है रखते हैं वट सावित्री का व्रत, इस दिन है दूसरा

Abhinaw Tripathi
Jun 06, 2024

Vat Savitri Vrat

वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है, ज्योतिषाचार्य पंडित सच्चिदानंद त्रिपाठी का कहना है कि वट सावित्री व्रत साल में 2 बार आता है. आइए जानते हैं इसके बारे में.

वट सावित्री व्रत

ज्योतिषाचार्य पं. सच्चिदानंद त्रिपाठी के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ महीने में ही 2 बार पड़ता है.

क्यों रखते हैं व्रत

सुहागन महिलाएं अपने जीवनसाथी के लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं. साथ ही साथ लंबी उम्र की कामना करती हैं.

अमावस्या तिथि

हिंदू कैलेंडर के अनुसार पहला वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ माह के अमावस्या तिथि को मनाया जाता है.

पहला वट सावित्री व्रत

पंचांग के आधार पर वट सावित्री व्रत की तिथि आज 6 जून को है. जो 5 जून को शाम 07:00 बजे से 6 जून को शाम 07:00 बजे तक है.

दूसरा सावित्री व्रत

वट सावित्री व्रत का दूसरा व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इसे वट पूर्णिमा व्रत नाम से जाना जाता है.

कब है पूर्णिमा व्रत

पंचांग के अनुसार वट पूर्णिमा व्रत की तिथि 21 जून गुरुवार सुबह 7:31 से 22 जून शुक्रवार, को सुबह 6:37 तक मान्य रहेगी.

कथा पढ़ती हैं महिलाएं

इन दोनों ही व्रत में महिलाएं सावित्री और सत्यवान की कथा पढ़ती हैं. जिसमें देवी सावित्री अपने पति के प्राण यमराज से वापस लेकर आई थीं.

कहां रखते हैं व्रत

वट सावित्री व्रत उत्तर भारत के राज्यों में मनाया जाता है. जबकि वट पूर्णिमा व्रत महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के राज्यों में रखते हैं.

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