कलश की गर्दन वाले हिस्से पर रक्षासूत्र यानि की मौली बांधे और कलश पर कुमकुम से स्वास्तिक बना दें.
कलश को गंगाजल से भर दें और कलश के अंदर दूर्वा घास का एक जोड़ा डाल दें.
कलश में एक या दो रुपये का सिक्का या फिर सोने या चांदी का सिक्का भी डालें.
कलश को जिस चौकी पर रखना है वहां पहले अष्टकमल का निर्माण कर लें अब कलश में अक्षत, सुपारी और कुमकुम भी डालें.
कलश को 5 आम या अशोक के पत्तों से सजा कर मिट्टी के ढक्कन से ढक दें.
एक नारियल को लाल रंग की चुनरी में लपेट कर चुनरी में भी एक या दो सिक्के रखकर मौली की मदद से बांध दें.
एक मिट्टी के बर्तन में साफ मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज डाल दिये जाते हैं और जल का छिड़काव करें
कलश को इस मिट्टी के बर्तन के बीचों बीच स्थापित करें और नारियल को इस कलश के ऊपर सीधा रखें.
याद रहें नवरात्र के जल को बहती नदी में प्रवाहित कर दें और नारियल को स्वेच्छा अनुसार या तो मंदिर में रखें या प्रवाहित कर दें.