राजस्थान की वो प्रथा, जिसमें तलवार से की जाती थी शादी

Sneha Aggarwal
Mar 31, 2024

राजाओं का राज

राजस्थान में कई सालों तक राजाओं का राज रहा है. इस समय राजपूत हमेशा युद्धरत रहते थे. इसी के चलते शादी के लिए खांडा विवाह काफी फेमस था.

युद्ध

उस समय राजपूत नौजवानों को अचानक से युद्ध में शामिल होने पड़ता था, जिसके चलते उनकी शादी को कुछ पता नहीं होता था.

कटार, तलवार या ढाल से शादी

ऐसे में उनकी शादी की तारीख पर उनकी कटार, तलवार या ढाल को प्रतिनिधि के रूप में ले जाकर शादी कर दी जाती थी. इसे खांडा प्रथा कहते थे.

खांडा विवाह

अनवरत युद्ध की स्थिति होने की वजह से खांडा विवाह परंपरा शुरू हुई. इसके मुताबिक, शादी के वक्त वर के नहीं होने पर उसकी तलवार बारात के साथ जाती थी और उसी से दुल्हन की शादी करवा दी जाती थी.

परंपरा

इसके साथ ही सारी रस्में भी तलवार के साथ की निभाई जाती थी. हालांकि अब परंपरा बंद हो चुकी है.

प्रसिद्ध लोक देवता पाबूजी राठौड़

कहा जाता है कि राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता पाबूजी राठौड़ की शादी भी खांडा प्रथा के मुताबिक हुई थी.

देवता पाबूजी राठौड़

प्रसिद्ध लोक देवता पाबूजी राठौड़ अपनी शादी के फेरे पूरे नहीं कप पाए थे कि उन्हें एक वृद्धा के पशुधन को लुटेरों से बचाने के लिए बीच फेरों छोड़कर जाना पड़ा.

युद्धभूमि में शहीद

वहीं, प्रसिद्ध लोक देवता पाबूजी राठौड़ पशुधन की रक्षा करते हुए युद्धभूमि में शहीद हो गए थे.

रावत रत्नसिंह चुंडावत

इसके अलावा मेवाड़ के सलूम्बर के रहने वाले रावत रत्नसिंह चुंडावत के साथ भी ऐसा ही हुआ था. कहते हैं कि राजा शादी के बाद अपनी पत्नी रानी हाड़ी को छोड़कर औरंगजेब के खिलाफ युद्ध लड़ने चले गए थे.

शीश

ऐसे में रानी हाड़ी ने अपना शीश काट कर निशानी के तौर पर अपने पति के पास भेज दिया था क्योंकि रानी चाहती थी कि उनके पति रावत रत्नसिंह चुंडावत मोह त्यागकर मातृभूमि के लिए युद्ध लड़ सकें.

मातृभूमि के लिए शहीद

रावत रतन सिंह चुण्डावत ने अपनी पत्नी का कटा शीश गले में लटकाया और औरंगजेब की सेना से भयंकर युद्ध लड़ा और मातृभूमि के लिए शहीद हो गए.

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