शीतला माता मंदिर

राजस्थान के पाली में शीतला माता के मंदिर में मौजूद घड़ा चमत्कारिक माना जाता है. जो 800 साल से भर ही नहीं पाया है.

Zee Rajasthan Web Team
Apr 01, 2024

चमत्कारी घड़ा

दरअसल साल में दो बार चैत्र माह में और ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन मंदिर में मौजूद घड़े को खाला जाता है, और भक्त उसमें पानी डालते हैं.

दुर्लभ दर्शन

इस समय लाखों की संख्या में भक्त मंदिर में पहुंचकर घड़े को भरने की कोशिश करते हैं, लेकिन ये घड़ा कभी नहीं भर सका.

राक्षस बाबरा

माना जाता है कि 800 साल पहले एक राक्षस था जिसका नाम था बाबरा, ये राक्षक गांव में शादी होने पर दूल्हे को मार देता था.

ब्राह्मण ने की पूजा

राक्षस से परेशान एक ब्राह्मण की बेटी का भी विवाह हुआ, ऐसे में ब्राह्मण ने शीतला माता की खूब पूजा की और माता शीतला प्रसन्न हो गयी.

सपने में आई माता शीतला

माता शीतला ने ब्राह्मण के सपने में आकर कहां कि जब तुम्हारी बेटी की शादी होगी तो वो राक्षस का वध कर देंगी .

ब्राह्मण की बेटी की शादी के समय माता शीतला एक कन्या के रूप में वहां आ गयी, जब राक्षस ने दूल्हे को मारने की कोशिश की.

राक्षस का संहार

कन्या रूप में माता शीतला ने घुटनों के नीचे दबाकर राक्षस का वध किया, लेकिन राक्षस ने मरते हुए वरदान मांगा.

राक्षस ने कहा कि मुझे गर्मियों में बहुत प्यास लगती है, इसलिए साल में दो बार कम से कम पानी पिलाना होगा. बस तभी से ये परंपरा चली आ रही है.

राक्षस की प्यास बुझती नहीं

शीतला माता के मंदिर में रखा घड़ा उस राक्षस का ही प्रतीक है जिसका संहार माता शीतला ने किया था.

डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित है जिसकी ज़ी मीडिया पुष्टि नहीं करता है.

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