भील कण्णप्प भगवान शिव की तरह बहुत ही भोला था, जो हर वक्त शंकर जी की भक्ति में लीन रहता था.
भगवान शिव की रक्षा
एक बार की बात है कि भील कण्णप्प जंगल में शिकार करते हुए बहुत दूर चला गया, जहां उसे एक मंदिर दिखाई दिया. वहीं, वह भगवान शिव की रक्षा करने के लिए मंदिर के बाहर पहरा देने लगा.
मांस और शहद
रातभर पहरा देने के बाद उसे भगवान की पूजा करने का विचार आया लेकिन वह पूजा करने की विधि नहीं जानता था. ऐसे में वह जंगल से जानवर का मांस पकाकर और मधुमक्खी के छत्ते से शहद लेकर आया. इसके साथ ही कुछ फूल और नदीं से मुंह में जल भरकर ले आया.
कौन है पापी?
वहीं, एक दिन मंदिर में ब्राह्मण पूजा करने मंदिर आता था. वह देखता है और कहता है कि ये कौन पापी है जो रोज भगवान को मांस चढ़ाकर अशुद्ध कर देता है.
ब्राह्मण
ऐसे में एक दिन ब्राह्मण एक दिन मूर्ति को अशुद्ध करने वाले को पकड़ने के लिए मंदिर में छिपकर बैठ जाता है.
एक आंख से बह रहा था खून
वहीं, ब्राह्मण देखता है कि रोज की तरह भील कण्णप्प पैरों से भगवान पर चढ़े फूलों को हटाता है. तभी उसकी नजर भगवान शिव की मुर्ति पर पड़ती है. वह देखता है कि भगवान शिव की एक आंख से खून बह रहा था.
आंख निकाल कर की अर्पित
वहीं, उसने भगवान को कष्ट में देख पत्तों से बनी औषधि लगाई लेकिन उससे कोई असर ना हुआ तो उसने अपनी एक आंख निकाल कर भगवान को अर्पित कर दी.
भगवान शिव हुए खुश
इसके बाद भगवान की दूसरी आंख से भी खून निकलने लगा. ये देख भील कण्णप्प ने अपनी दूसरी आंख निकाली और भगवान शिव को लगा दी. भगवान भील कण्णप्प की भक्ति देखकर खुश हो गए और उसे दर्शन देकर गले से लगा लिया. साथ ही उसकी आंखों की रोशनी लौटा दी.
श्रद्धापूर्ण भाव
ब्राह्मण कण्णप्प को पीछे से देख रहा था. ऐसी भक्त देख उसकी आंखों से आंसू बहने लगे. वहीं, भगवान शिव ने ब्राह्मण से कहा कि मुझें पूजा पद्धति नहीं, श्रद्धापूर्ण भाव ही प्रिय है. ऐसे में ब्राह्मण भील कुमार कण्णप्प के पैर छूने लगा और बोला आप धन्य है आपकी वजह से मुझे भगवान शिव के दर्शन हुए.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. Zee Rajasthan इसकी पुष्टि नहीं करता है.