जानें क्यों रोटी से डरते थे अंग्रेज

Sneha Aggarwal
May 09, 2023

चपाती आंदोलन

साल 1857 में चपाती आंदोलन मथुरा से शुरू हुआ था.

दूर-दूर तक जाती रोटियां

चपाती आंदोलन तब शुरू हुआ, जब प्रदर्शन करने वाले लोगों ने दूर-दूर तक लोगों को रोटी बनाना और बांटना शुरू कर दिया था.

रोटियां जाती थी यहां से वहां

मथुरा के रहने वाले एक मजिस्ट्रेट मार्क थॉर्नहिल ने एक जांच की, जिसमे पता चला कि हर रात 300 किलोमिटर दूर रोटियों को ले जाया जाता था.

चकराने लगा थॉर्नहिल का दिमाग

वहीं, इसका पता लगने के बाद मार्क थॉर्नहिल का दिमाग चकराने लगा कि आखिर इतनी चपातियों को ले जाया क्यों जाता है.

नहीं पता चला कारण

इस पर मार्क थॉर्नहिल ने काफी जांच की, लेकिन इसके पीछे की वजह उसे पता नहीं लग पाई.

पहली थ्योरी

वहीं, इसे लेकर कुछ लोगों ने कहा कि इन चपातियों में कुछ गुप्त कोड होते हैं, जिनका उपयोग गोपनीय जानकारी भेजने के लिए किया जाता है.

अंग्रेजों के खिलाफ विरोध

इसके अलावा कुछ ने कहा कि चपाती आंदोलन लोगों को एकजुट करने और अंग्रेजों के खिलाफ विरोध करना था.

ये थी दूसरी थ्योरी

कुछ ने कहा कि साल 1857 में चपाती आंदोलन हैजा की फैली बीमारी के प्रकोप को रोकने के लिए किया गया था.

हैजा की बीमारी

इतिहासकार किम वैगनर ने कहा कि इस अंदोलन का मतलब लोगों को हैजा से बचाना था. उन्होंने इस धारणा को खारिज कर दिया कि रोटियां विद्रोह को चिंगारी लगा रही थी.

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