मारवाड़ी घोड़ी 'राज-हिमानी' जानें कैसे हुआ ऐतिहासिक जन्म
Ansh Raj
Nov 26, 2024
मारवाड़ी घोड़ी नस्ल की कमी
देश में अच्छे नस्ल के घोड़ों की कमी एक गंभीर समस्या है, लेकिन वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस नए प्रयोग से इस समस्या का समाधान हो सकता है.
भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक
इस प्रयोग में भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक और हिमीकृत वीर्य का प्रयोग किया गया है.
सरोगेट माँ के माध्यम से जन्म
जन्मे घोड़े के बच्चे का नाम "राज-हिमानी" रखा गया है, जो हिमीकृत वीर्य से उत्पन्न होने के कारण है.
मारवाड़ी घोड़ों की उत्पत्ति
मारवाड़ी घोड़ों की उत्पत्ति राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में हुई है, जो इनका प्राकृतिक आवास है.
फ्रोजन सीमेन का उपयोग
डॉ तल्लूरी का यह बयान एक नए दिशा की ओर संकेत करता है जिसमें फ्रोजन सीमेन का उपयोग करके भ्रूण प्रत्यारोपण किया गया है.
घोड़े की नस्ल सुधार
यह तकनीक घोड़ों की नस्ल सुधार में एक नए युग की शुरुआत कर सकती है.
मारवाड़ी घोड़ों की आबादी में गिरावट
मारवाड़ी घोड़ों की नस्ल की आबादी तेज़ी से घट रही है, जो एक चिंताजनक स्थिति है.
पशुगणना के आंकड़े
2019 की पशुगणना के अनुसार, देश में मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों की संख्या मात्र 33,267 है.
घोड़ों की नस्ल सुधार की आवश्यकता
मारवाड़ी घोड़ों की नस्ल की आबादी में तेज़ी से गिरावट आ रही है, जो एक बड़ी चुनौती है.
वैज्ञानिकों की उपलब्धि
राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, बीकानेर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ तिरुमला राव तल्लूरी और उनकी टीम ने इस प्रयोग में सफलता प्राप्त की है, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.