अग्नि पुराण में बताया गया है कि पितृपक्ष के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराते समय पत्ता गोभी या बंद गोभी नहीं खिलानी चाहिए.
पुराण के अनुसार पितर इसे ग्रहण नहीं करते हैं और नाराज होकर या फिर श्राप देकर चले जाते हैं.
पद्म पुराण और गरुण पुराण में बताया गया है कि कुम्हड़ा का इस्तेमाल नवरात्रि के दौरान यज्ञ में बलि के लिए होता है.
इस लिए कुम्हड़ा को भी कभी भी श्राद्ध के समय ब्राह्मणों को नहीं परोसना चाहिए.
भैंस के दूध से बनी खीर का भी ब्राह्मणों को नहीं देना चाहिए क्योंकि भैंसा यमराज की सवारी है.
इसलिए हमेशा गाय के दूध से बनी खीर खिलानी चाहिए.
ब्राह्मणों को भोजन कराते समय कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है, जिससे पितर प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
ब्राह्मणों को भोज कराने से पहले उन्हें सम्मान के साथ घर पर आमंत्रित करना चाहिए.
ऐसे ब्राह्मणों को भोजन कराएं, जिन्होंने उस दिन किसी दूसरी जगह पर श्राद्ध के भोजन को नहीं खाया हो.
पितृ पक्ष के दौरान भोजन को हमेशा सात्विक रखे. ऐसे में लहसुन-प्याज का इस्तेमाल ना करें.
श्राद्ध कर्म के दौरान भोजन, दक्षिण दिशा को मुख करके कराना चाहिए.
श्राद्ध कर्म के बाद सम्मान के साथ ब्राह्मणों वस्त्र, अन्न और दक्षिणा जरूर देनी चाहिए.