पृति पक्ष में जो 15 दिनों के लिए समय होता है वह पितरों का होता है. कौवे और पीपल को पितरों का प्रतीक भी माना जाता है.
Anuj Kumar
Oct 01, 2023
घर में उन्नति, खुशहाली आती
पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए. इससे घर में उन्नति, खुशहाली धन-धान्य की प्राप्ति होती है.
अर्यमा पितरों का देवता
अदिति के तीसरे पुत्र और आदित्य नामक सौर-देवताओं में से एक अर्यमन या अर्यमा को पितरों का देवता भी कहा जाता है.
श्राद्ध पक्ष में कौवों का महत्व
श्राद्ध पक्ष में कौवों को भोजन करवाने से पितरों को शांति मिलती और वे तृप्त होकर परलोक जाते है.
कौवे के बिना श्राद्ध अधूरा
पितृ लोक के देवता का नाम अयर्मा है और कौवा उनका वाहन है. कौवे के भोजन के बिना श्राद्ध अधूरा माना जाता है.
धर्मराज यम का वाहन कुत्ता
श्राद्ध पक्ष में कुत्तों को भोजन कराने से धर्मराज यम प्रसन्न होते है. माना गया है कि धर्मराज यम द्वारा पितर पितृपक्ष में मृत्युलोक से पितर पृथ्वी पर आते है.
यमराज श्राद्ध पक्ष में करते मुक्त
ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें.
15 दिनों का पितृपक्ष का महत्व
गणपति की स्थापना और उनके पूजन के बाद 15 दिनों का पितृपक्ष आता है. उसके पश्चात देवी दुर्गा की आराधना के नौ दिन शारदीय नवरात्रि आती है.
सृष्टि का संचालन
भगवान विष्णु के शयनकाल में चले जाने के बाद चार माह की अवधि में सृष्टि संचालन का जिम्मा शिव परिवार पर रहता है.