पृथ्वीलोक में आते है पितर

पृति पक्ष में जो 15 दिनों के लिए समय होता है उस समय सभी पितर अपने प्रियजनों से मिलने के लिए ये पृथ्वीलोक में आ जाते है.

ब्राह्मणों को दान

ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद इन्हें यथाशक्ति दान भी देना चाहिए.

ब्राह्मणों को भोजन

ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए क्योंकि पितर इन्हीं ब्राह्मणों पर आरूण होकर आते है.

कुत्ता धर्मराज का प्रतीक

श्राद्ध के दौरान कुत्ते को भी भोजन कराना चाहिए. इसके पीछे मान्यता है कि कुत्ता धर्मराज का प्रतीक है.

पितरों को आत्मा की तृप्ति

जो परिजन अपना देह त्यागकर चले गए हैं, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ जो तर्पण किया जाता है.

पितृपक्ष में मृत्युलोक से आते

पितृपक्ष में मृत्युलोक से पितर पृथ्वी पर आते है और अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं.

यमराज श्राद्ध पक्ष में मुक्त कर देते

मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें.

पितरों का देवता

अदिति के तीसरे पुत्र और आदित्य नामक सौर-देवताओं में से एक अर्यमन या अर्यमा को पितरों का देवता भी कहा जाता है.

पितरों को पहुंचता है भोजन

पितृपक्ष में कौवा को भोजन कराने से पितरों तक पहुंचता है श्राद्ध का भोजन.

पितृपक्ष में कौवा बेहद खास

पृत लोक के देवता का नाम अयर्मा है और कौवा उनका वाहन है. जब पितरों को भोजन दिया जाता है तो कौवे को आव्हान किया जाता है.

पितृपक्ष में गाय को भोजन

हिंदू धर्म में गाय बहुत पूजनीय होती है और पितृपक्ष के दौरान गाय को भोजन खिलाना चाहिए. इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और घर में उन्नति, खुशहाली धन-धान्य की प्राप्ति होती है.

VIEW ALL

Read Next Story