राजस्थान की वो बावड़ी, जहां जाने के बाद नहीं लौटी थी बारात

Apr 18, 2024

पानी के प्रबंधन लिए

राजस्थान में पूराने समय में राजा-महराजा पानी के प्रबंधन और वास्तुकला के लिए बावड़ियों का निर्माण करवाते थे.

अलग-अलग नाम

देश के अलग-अलग राज्यों में बावड़ियों को अलग-अलग नाम से जाना जाता है.

परंपरा

प्राचीन समय में पानी के प्रबंधन के लिए बावड़ी एक शानदार परंपरा है.

राजस्थान के जयपुर से 70 किलोमीटर एक ऐसी बावड़ी है,जो एक दिन और रात में बनकर तैयार हुई थी.

'बोरिस'

राजस्थान के भांडारेज गांव में बने इस बावड़ी का नाम 'बोरिस' है.

दीप सिंह व दौलत सिंह

जानकारी के अनुसार इस बावड़ी का निर्माण कुभाणी शासक दीप सिंह व दौलत सिंह ने करवाया था.

भूतीया घटना

इस बावड़ी के पीछे एक रोचक भूतीया घटना भी है.

बारात वापस नहीं लौटी

लोगों का कहना है कि इस बावड़ी में एक बार पूरी की पूरी बारात ही अंदर बनी हुई सुरंग में गई और कभी वापस नहीं लौटी.

'भूतों की बावड़ी'

जिस कारण इस भांडारेज बावड़ी को 'भूतों की बावड़ी' भी कहा जाता है.

बोरिस बावड़ी प्राचीन शिल्पकला बेहतरीन नमूना है.

बोरिस बावड़ी

बोरिस बावड़ी 5 मंजिल इमारत के जैसी दिखती है.

डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी और लोगों द्वारा बताई गई कहानियों पर आधारित है, इसकी ज़ी मीडिया पुष्टि नहीं करता है.

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