जानें दाल-बाटी चूरमा कैसे बना राजस्थान के थाली की शान

Aman Singh
Aug 15, 2024

राजस्थान अपने गौरवपूर्ण इतिहास, लजीज व्यंजनों के लिए दुनियाभर में मशहूर है.

दाल-बाटी चूरमा

ये राजस्थानी भोजन का मुख्य पहचान है. इसमें घी में डुबोई बाटी, मसालेदार दाल और मीठा चूरमा होता है.

दाल बाटी पहले युद्ध के दौरान खाई जाने वाली डिश है. राजस्थान का साम्राज्य संभालने वाले बप्पा रावल के दौर की है.

दाल बाटी चूरमा राजस्थान की थाली की शान माना जाता है. मारवाड़ी क्वीज़ीन दाल बाटी चूरमा के बिना अधूरी है.

गरमागरम लहसुन वाली दाल, लाल चटनी, घी में डूबी हुई बाटी और चूरमा से भरपूर थाली देखकर मुंह में पानी आ जाता है.

आइए जानते हैं पहली बार किसने इस डिश को बनाया था और दाल बाटी चूरमा का इतिहास क्या है.

बाटी का जन्म किसी शाही रसोई से नहीं बल्कि युद्ध के मैदान से हुआ है. हालांकि यह डिश राजस्थानी भोजन शाही खानसामों की देन है.

जो सैनिक युद्ध के लिए जाता था उनके खान-पान की व्यवस्था कैसे की जाए इसको लेकर सभी हैरान परेशान थे. दरअसल, युद्ध पर जाने वाले सैनिकों को ऐसे भोजन की जरूरत थी जो कई दिनों तक खराब ना हो.

बताया जाता कि गेहूं के आटे से बनी गोलाकार बाटी मेवाड़ साम्राज्य के संस्थापक बप्पा रावल के समय में पहली बार बनाई गई थी. इस दौरान युद्ध में जाने वाले सैनिक इन्हीं बाटियों से भोजन का इंतजाम करते थे.

एक बार सैनिक आटे की गोलियां बनाकर धूप में रख गए थे इसके बाद जब वह वापस आए तो आटे की गोलियां पक चुकी थीं. बस तब ही यह युद्ध के दौरान खाने वाला भोजन बन गया.

माना जाता है कि मेवाड़ आए कुछ व्यापारियों ने बाटी के साथ दाल बनाई थी. वहीं, चूरमा तो गलती से बन गया था.

कहानियों के अनुसार, एक दिन रसोइयों से बाटी गन्ने के रस में गिर गईं. इसका स्वाद अच्छा था तो इन्हें पीसकर चूरमा बनाया जाने लगा. तब से ही दाल बाटी चूरमेका कॉम्बिनेशन चला आ रहा है.

VIEW ALL

Read Next Story