क्यूं देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम... पढ़ें साहिर लुधियानवी के धमाकेदार शेर

Ansh Raj
Nov 25, 2024

ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है क्यूं देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम

कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया

ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहां मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया

अपनी तबाहियों का मुझे कोई ग़म नहीं तुम ने किसी के साथ मोहब्बत निभा तो दी

अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिब अभी हयात का माहौल ख़ुश-गवार नहीं

हम ग़म-ज़दा हैं लाएं कहां से ख़ुशी के गीत देंगे वही जो पाएंगे इस ज़िंदगी से हम

बर्बादियों का सोग मनाना फ़ुज़ूल था बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया

माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सके कुछ ख़ार कम तो कर गए गुज़रे जिधर से हम

संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है इक धुंद से आना है इक धुंद में जाना है

जंग तो ख़ुद ही एक मसअला है जंग क्या मसअलों का हल देगी

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