जब एक तरबूज के लिए राजस्थान की दो सियासतों में हुआ युद्ध

Pragati Awasthi
Jul 02, 2024

तरबूज की बेल नागौर गई

बीकानेर की जमीन पर तरबूज की बेल लगी थी और ये नागौर रिसायत तक जा फैली थी. बेल को नहीं पता था कि उसका दायरा क्या है.

लगा बहुत मोटा तरबूज

अब बेल पर एक तरबूज लग चुका है. जो काफी बड़ा था. इस तरबूज (मतीरे) को दोनों ही इलाके के लोग खाना चाहते थे.

मतीरे की राड़

बात दोनों ही राजमहल तक पहुंच गयी और दोनों ही रियासतों की सेनाओं ने मोर्चा संभाल लिया.

देर हो चुकी थी

अब मुगल दरबार से मामले में दखल देने को कहा गया, लेकिन इससे पहले की वहां से कोई फैसला होता.

भिड़ गया बीकानेर और नागौर

बीकानेर और नागौर की सेनाओं के बीच तरबूज के लिए युद्ध शुरु हो गया था.

दोनों की सियासत के राजा थे बाहर

ये बात 1644 की है, जो बीकानेर में राजा करणसिंह और नागौर में राजा अमरसिंह का राज था.

मुगलों के अधीन थे राजा

दोनों की रियासतें मुगल अधीनता में थी और दोनों की रिसायतों के राजा इस अलग अलग सैन्य अभियान के लिए गए थे.

सैंकड़ों सैनिकों की मौत

ऐसे में जरा सी बात इतनी बिगड़ी गयी और दोनों सेनाओं के बीच हुए युद्ध में सैंकड़ों लोग मारे गए.

बीकानेर ने लिया तरबूज का स्वाद

अब बात रही तरबूज की तो, चूंकि युद्ध बीकानेर की सेना ने जीता था, इसलिए तरबूज का स्वाद भी वहीं के लोगों के लिया.

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