तुम्हें हुस्न पर दस्तरस है बहोत, मोहब्बत वोहब्बत बड़ा जानते हो... पढ़ें तहजीब हाफी के शेर

Ansh Raj
Oct 11, 2024

तुम्हें हुस्न पर दस्तरस है बहोत, मोहब्बत वोहब्बत बड़ा जानते हो तो फिर ये बताओ कि तुम उसकी आंखों के बारे में क्या जानते हो?

ये ज्योग्राफियां, फ़लसफ़ा, साइकोलोजी, साइंस, रियाज़ी वगैरह ये सब जानना भी अहम है मगर उसके घर का पता जानते हो?”

“तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया

यूं नहीं है कि फ़क़त मैं ही उसे चाहता हूं जो भी उस पेड़ की छांव में गया बैठ गया”

“मै फूल हूं तो फिर तेरे बालो में क्यों नही हूं तू तीर है तो मेरे कलेजे के पार हो.

एक आस्तीन चढ़ाने की आदत को छोड़ कर ‘हाफ़ी’ तुम आदमी तो बहुत शानदार हो.”

“लड़कियां इश्क़ में कितनी पागल होती हैं फ़ोन बजा और चूल्हा जलता छोड़ दिया.”

“एक और शख़्स छोड़कर चला गया तो क्या हुआ हमारे साथ कौन सा ये पहली मर्तबा हुआ.”

“तुझ को पाने में मसअला ये है तुझ को खोने के वसवसे रहेंगे”

“मैं जिस के साथ कई दिन गुज़ार आया हूं वो मेरे साथ बसर रात क्यूं नहीं करता”

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