पौराणिक कहानियों के अनुसार, महाभारत युद्ध की शुरुआत से पहले, बर्बरीक की अंतिम इच्छा कुरुक्षेत्र का युद्ध देखने की थी.
पर्वत
ऐसे में भगवान कृष्ण ने बर्बरीक को युद्ध देखने के लिए स्वयं उसका सिर पर्वत शिखर पर रख दिया था.
अर्पित
ऐसा माना जाता है कि भगवान खाटूश्यामजी का सिर भगवान कृष्ण ने रूपावती नदी को अर्पित कर दिया था.
दफन
इसके बाद सिर को राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में दफन पाया गया था.
दूध
एक दिन, एक गाय जब कब्रगाह के करीब पहुंची तो उसके थन से दूध तेजी से बहने लगा.
राजा रूपसिंह चौहान
इसके बाद खाटू के राजा रूपसिंह चौहान को एक सपना आया, जिसमें उन्हें एक मंदिर बनाने और वहां शीश स्थापित करने की प्रेरणा मिली.
मूर्ति
इसके बाद, एक मंदिर का निर्माण किया गया और फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन मूर्ति को वहां स्थापित किया गया.
सपना
इस किंवदंती पर थोड़ा अलग दृष्टिकोण यह है कि रूपसिंह चौहान की पत्नी, नर्मदा कंवर ने एक बार एक सपना देखा था, जिसमें देवता ने उन्हें अपनी छवि पृथ्वी से बाहर निकालने के निर्देश दिए थे.
श्याम कुंड
पवित्र स्थल (जिसे अब श्याम कुंड कहा जाता है) से मूर्ति निकली थी.
निर्माण
मूल मंदिर का निर्माण 1027 ई. में रूपसिंह चौहान ने करवाया था.
डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी और लोगों द्वारा बताई गई कहानियों पर आधारित है, इसकी ज़ी मीडिया पुष्टि नहीं करता है.