वनवास

राजा दशरथ, राम और लक्ष्मण के वियोग के दर्द को भी झेल नहीं सकें औप उनका मृत्यु हो गई.

राजा दशरथ की मृत्यु

पिता के निधन की खबर सुनकर भगवान राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण को गहरी ठेस पहुंची.

जंगल में पिंडदान

दोनों भाइयों ने जंगल में ही पिंडदान करने का फैसला लिया और सामान एकत्र करने के लिए निकल पड़े.

माता सीता ने की व्यवस्था

पिंडदान का समय निकलता जा रहा था, ऐसे में माता सीता ने एक युक्ति सोची.

माता सीता ने किया पिंडदान

माता सीता ने पिंडदान उसी समय भगवान राम - लक्ष्मण के बिना करने का फैसला लिया.

माता सीता ने पूरे विधि-विधान के साथ पिंडदान किया. जब प्रभु राम और लक्ष्मण लौट कर आए तो उन्हें पूरी बात बताई.

पंडित, कौवा, फल्गु नदी और गाय

माता सीता ने कहा पिंडदान में पंडित, कौवा, फल्गु नदी और गाय उपस्थित थे. लेकिन इन चारों ने श्रीराम के पूछने पर मना कर दिया.

माता सीता का पंडित को श्राप

पंडित को कितना भी मिलेगा लेकिन उसकी दरिद्रता कभी दूर नहीं होगी.

माता सीता का कौवें को श्राप

अकेले खाने से कभी पेट नहीं भरेगा और आकस्मिक मृत्यु होगी.

माता सीता का फल्गु नदी को श्राप

फल्गु नदी पानी गिरने के बावजूद नही ऊपर से हमेशा सूखी ही रहेगी और नदी के ऊपर पानी का बहाव कभी नहीं होगा. (डिस्क्लेमर- ये जानकारी लोक मान्यताओं पर आधारित है, जिसकी ज़ी मीडिया पुष्टि नहीं करता है)

माता सीता का गाय को श्राप

घर में पूजा होने के बाद भी गाय को हमेशा जूठन खाना पड़ेगा.

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