पुराणों में बताया गया है कि तरह से भगवान महादेव ने कष्टों सहकर भी सृष्टि को विनाश से बचाया था.
Pragati Awasthi
Jul 24, 2023
विष पान
समुद्र मंथन के बाद निकले विष को भोलेनाथ पी गये थे. जिससे उसका कंठ नीला और देह गर्म हो गयी थी.
बेलपत्र आए काम
जिससे पूरी दुनिया भी धधकने लगी. ऐसे में देवताओं ने बेलपत्र से विष के प्रभाव को कम किया.
शिवजी ने खाए बेलपत्र
शिवजी को बेलपत्र खिलाए गए और भोलेनाथ पर जल अर्पित किया गया.
भोलेनाथ का शरीर धीरे धीरे ठंडा हो गया और वो प्रसन्न हो गये.
मां पार्वती ने की पूजा
स्कंद पुराण के अनुसार माता पार्वती ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्रों से ही उनकी पूजा की थी.
पसीने से बना बेलपत्र का वृक्ष
स्कंद पुराण के अनुसार मां पार्वती ने अपनी अंगुलियों से ललाट पर आया पसीना पोछंकर फेंका जो मंदार पर्वत पर गिरा और बेलपत्र की उत्पत्ति हुई.
बेल के वृक्ष में देवताओं का वास
शास्त्रों के अनुसार बेल के वृक्ष की जड़ों में मां गिरिजा, तने में मां महेश्वरी, शाखाओं में मां दक्षयायनी , पत्तियों में पार्वती और फूलों में मां गौरी का वास है.
ऐसे मिलेगी शिव जी विशेष कृपा
मान्यता है कि बेल के वृक्ष की जड़ के पास शिवलिंग रखकर पूजा करने से भोलेनाथ की कृपा हमेशा मिलती है.
बेल वृक्ष की जड के पास शिवलिंग पर जल अर्पित करने से घर परिवार में हमेशा सुख रहता है.
बेल वृक्ष के नीचे भोलेनाथ पर लगाया गया खीर का भोग धन धान्य को बढ़ाने वाला होता है.
बेल वृक्ष की जड़ के पास शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पित करने से परिवार पर कोई संकट नहीं रहता है.
बेल वृक्ष को संपन्नता का प्रतीक माना जाता है. जिसमें मां लक्ष्मी का भी निवास बताया गया है.
बेलपत्र की तीन पत्तियों को लेकर मान्यता है कि इसमें ये महादेव की तीन आंखें है और इसकी टहनी त्रिशूल का प्रतीक