अजमेर

अजमेर राजस्थान का एक एतिहासिक शहर है, जो अरावली पर्वत श्रेणी की तारागढ़ पहाड़ी की ढाल पर है. इस शहर को सातवीं शताब्दी में अजयराज सिंह नामक एक चौहान राजा ने बसाया गया था. जहां सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग घूमने के लिए आते हैं. आइए जानते हैं यहां घूमने लायक कौन-कौन सी जगहें हैं..

अजमेर दरगाह शरीफ

अजमेर में स्थित मोइनुद्दीन चिश्ती की मजार पर हर धर्म-समुदाय के लोग आते हैं. यहां आकर लोग मन्नत मांगते हैं और पूरी हो जाने पर यहां आकर लोग दरगाह पर चादर चढ़ाते हैं.

आना सागर झील

1135 से 1150 के बीच महाराजा अनाजी के जरिए इसे बनाया गया था. आना सागर झील अजमेर में एक मानव निर्मित झील है. झील का नाम इसके निर्माता के नाम पर रखा गया है, जिसे महाराजा पृथ्वीराज चौहान का पूर्वज माना जाता है.

पुष्कर का ब्रह्मा मंदिर

राजस्थान की धार्मिक नगरी कहे जाने वाला पुष्कर एक विख्यात तीर्थ स्थान है, जहां ब्रह्मा जी का इकलौता मंदिर है. हाल ही में पीएम मोदी ने भी इस मंदिर के दर्शन कर ब्रह्मा जी का आर्शीवाद लिया था.

पुष्कर झील

इसके अलावा पुष्कर झील भी देशभर में मशहूर है. इसे भारत के पांच पवित्र सरोवरों में से एक माना जाता है. यह अजमेर शहर से14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

तारागढ़ किला

अजमेर में तारागढ़ किले के पास बना पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति राजपूत चौहान वंश के महान नायक को श्रद्धांजलि है. पृथ्वीराज चौहान, चौहान वंश के अंतिम शासक थे और उन्हें वीरता और देशभक्ति का प्रतीक माना जाता है.

अढ़ाई दिन का झोपड़ा

यह भारत की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है. माना जाता है इसे केवल ढाई दिनों में बनाया गया था. वास्तुकला को मूल रूप से एक संस्कृत महाविद्यालय के रूप में बनाया था, लेकिन मोहम्मद गोरी ने 1198 में अजमेर पर कब्जा कर इसे एक इस्लामी मस्जिद में बदल दिया.

नासियान जैन मंदिर

यह दो मंजिला मंदिर है जिसे लाल मंदिर के नाम से भी जानते है. यह भगवान आदिनाथ को समर्पित है. इसके एक भाग में संग्रहालय है जिसमें एक हाल है. इसकी गैलरी सोने से बनी है, जो भगवान आदिनाथ के जीवन के पांच चरणों को दिखाती है.

नारेली जैन मंदिर

नरेली जैन मंदिर जो शहर के केंद्र से लगभग 7 किमी दूर है. पहाड़ी की चोटी पर 24 अतिरिक्त मंदिर जैनों के तीर्थंकर जिन्हें 24 जैनालय भी कहा जाता है. साल भर जैन श्रद्धालुओं का यहां आना लगा रहता है.

दुर्गा बाग

आकर्षक अना सागर झील के तट पर स्थित, दुर्गा बाग गार्डन मुगल काल का है. इसे 1868 में सम्राट शिव दान ने बनवाया था. बगीचे में खुले हरे भरे स्थान और प्राकृतिक रूप से उगाए गए पेड़ हैं जो इस जगह को एक शांत आकर्षण प्रदान करते हैं.

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