ग्लोबल वॉर्मिंग

असम में जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग का असर साफ देखा जा सकता है.असम सरकार अगले पांच साल में जंगल का विस्तार बढ़ाना चाहती है.

Tarun Chaturevedi
Jun 12, 2023

फॉरेस्ट मैन

राज्य में फॉरेस्ट मैन के नाम से मशहूर जादव पायंग ने अकेले अपने बूते बंजर जमीन पर जंगल खड़ा कर दिया है, वहीं दूसरी ओर अनियंत्रित शहरीकरण की वजह से तेजी से पेड़ भी कटे हैं.

फॉरेस्ट वॉच रिपोर्ट

ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच रिपोर्ट 2022 के मुताबिक, असम में वर्ष 2001 से 2021 के दो दशकों के दौरान 2.87 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र घट गया है. यह दिल्ली के क्षेत्रफल का दोगुना है.

बड़ा एलान

फिलहाल असम के कुल क्षेत्रफल का 36 फीसदी जंगल है. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने अगले पांच साल में इसे बढ़ा कर 38 फीसदी करने की महत्वाकांक्षी योजना का एलान किया है.

प्रोत्साहन राशि

असम सरकार ने लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री हिमंता ने ऐसा करने वालों को 100-100 रुपए की प्रोत्साहन राशि देने का एलान भी किया है.

ये जिला पहले नंबर पर

असम समेत पूर्वोत्तर राज्यों में जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग का असर साफ नजर आ रहा है. सबसे ज्यादा संवेदनशील 25 जिलों में 15 असम में है. करीमगंज जिले का नाम पहले नंबर पर है.

राजस्थान में भी जरूरत

असम जैसी पहल की जरूरत राजस्थान सरकार को भी है, क्योंकि राजस्थान पानी और पेड़ों की कमी से हमेशा जूझ रहा है. यदि ऐसा होगा तो राजस्थान में वन्य क्षेत्र का दायरा बढ़ेगा.

हो रही तारीफ

जानकारों की मानें तो असम के मॉडल की तारीफ हो रही है, एमपी, यूपी, राजस्थान समेत कई राज्यों में असम की इस पहल की चर्चा हो रही है. इससे वन्य क्षेत्र का दायरा बढ़ेगा. जलवायु परिवर्तन के लिए ये एक कारगर उपाय है.

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