उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित जागेश्वर धाम 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है. यह पहला मंदिर है जहां लिंग के रूप में शिवपूजन की परंपरा शुरू हुई.
इस मंदिर को 14वीं शताब्दी का बताया जाता है. मान्यता है कि यहां भगवान शंकर स्वयंभू शिवलिंग में अवतरित हुए थे.
अल्मोड़ा और नैनीताल जिले में गोलू देवता मंदिर स्थित है. मान्यता है कि यहां केवल चिट्ठी भेजने से ही मुराद पूरी हो जाती है.
अल्मोड़ा के रानीखेत में स्थित इस मंदिर को घंटी वाली देवी के मंदिर से भी जाना जाता है.
पिथौरागढ़ में स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, कहा जाता है कि इस मंदिर में दुनिया खत्म होने का रहस्य छिपा है.
कालीमठ मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है. इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं बल्कि कुंडी की पूजा करते हैं.
रुद्रप्रयाग जिले के जसोली गांव में यह मंदिर है. यह खूबसूरत पर्यटक स्थल के साथ भारत के 58 सिद्धपीठों में से है.
यह मंदिर श्रीनगर से करीब 14 किलोमीटर दूर है. मान्यता है कि माता की मूर्ति दिन में तीन बार रूप बदलती है.