थाली में एक साथ क्यों नहीं रखते तीन रोटियां?

Sandeep Bhardwaj
Apr 02, 2024

According To Vastu Shastra

सनातन धर्म में भोजन के कुछ विशेष नियम बताए गए हैं, जानकार लोग कहते हैं कि हमेशा ज्योतिष और वास्तु शास्त्र की मान्यता के अनुसार ही भोजन करना चाहिए.

भोजन

हम जो भोजन करते हैं उसका हमारे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थय पर कोई बुरा असर न पड़े. इसके अलावा नकारत्मकता से बचने के लिए भी भोजन के नियमों का पालन करना बेहद जरुरी है.

नियम

नियमों को हम मानते नहीं हैं तो परेशानी में पड़ते हैं. हमारे पास जीवन जीने के लिए जो भी नियम शास्त्रों में लिखित रूप में मौजूद हैं उनका पालन करना हमें अनेक मुश्किलों से बचाता है.

इसी प्रकार का एक नियम है खाने की थाली में तीन रोटी न रखना

यहां जानें कि इसके पीछे क्या क्या कारण बताए गए हैं.

Vastu Upay

थाली में तीन रोटी परोसना बहुत ही अशुभ माना जाता है. इस पर क्या कहता है वास्तु और ज्योतिष शास्त्र यहां विस्तार से जानें.

तीन विषम संख्या है

थाली में कभी भी तीन रोटी, पराठे या पूड़ी नहीं परोसी जाती है. बहुत से लोग एक साथ तीन कटोरी रखना भी उचित नहीं मानते हैं.

अशुभ विषम

कहते हैं तीन एक अशुभ विषम संख्या है. खाने की शुरुआत इस अंक के साथ नहीं करनी चाहिए.

मृतक को लगाते हैं तीन कौर

थाली में 3 रोटी तब रखी जाती है जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और उसके त्रयोदशी संस्कार से पहले उसके नाम की थाली लगाई जाती है.

मृतक

यदि किसी मृतक को भोग लगा रहे हैं तो उसकी थाली में तीन कौर यानि तीन या पांच रोटी रखी जाती हैं.

त्रिकोणी संघर्ष

तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा. हम बचपन से हंसी मजाक में भी ये कहावत बोलते आए हैं. लेकिन ये बात सत्य है कि जहाँ भी तीन एक साथ टकराते हैं वहां त्रिकोणी संघर्ष बनता है

संघर्ष

रोटी के मामले में भी यही बात कही जाती है. खाना किसी संघर्ष वाले अंक से जुड़ा हुआ नहीं होना चाहिए.

तीन निवाले देवताओं के लिए

कुछ ज्योतिष विद्वान कहते हैं कि भोजन के पूर्व ब्रह्मा, विष्णु और महेष के लिए तीन ग्रास निकालकर अलग रखना चाहिए.

तीन की संख्या

भोजन में तीन की संख्या देवताओं के लिए मानी जाती हैं. इसलिए इंसानों को अपने लिए दो या चार रोटियां रखनी चाहिए.

वास्तु के अनुसार बैर बढ़ाता है तीन अंक

वास्तु के अनुसार यदि कोई व्यक्ति थाली में एक साथ तीन रोटी रखकर खाता है तो उसके मन में दूसरों के प्रति शत्रुता का भाव उत्पन्न हो जाता है, वह चाहे अनचाहे कलह को जन्म देता है और परेशान रहता है.

Disclaimer

यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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