ताला और तालीम के शहर अलीगढ़ खाने-पीने की चीज़ों के लिए भी मशहूर है. यहां का समोसा, कचौड़ी, जलेबी, गुलाब जामुन, मिठाइयाँ और नमकीन बहुत पसंद किये जाने वाले आइटम हैं। आलम यह है कि यहां आपको सुबह 6 बजे लोग कचौड़ी-जलेबी खाते हुए दिख जायेंगे.
इस शहर मे शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसे यहां की करारी कचौड़ियों और उसके साथ जलेबियों के स्वाद ने अपना दीवाना ना बनाया हो.
कचौड़ी की खुशबू आते ही चुंबक की तरह हर कोई इसकी तरफ खिंचा चला आता है. अगर आप अलीगढ़ में हो तब ये तलब और भी ज्यादा बढ़ जाती है. अगर आप यूपी के अलीगढ़ आए हैं और शिब्बोजी की कचौड़ियों का स्वाद नहीं लिया तो खुद को ठगा महसूस करेंगे.
शहर के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक लोग खाईडोरा स्थित शिब्बोजी की कचौड़ी की दुकान पर पहुंचते हैं. यहां की मशहूर शिब्बोजी की कचौड़ी के स्वाद के मुरीद सभी लोग हैं.
शहर में इसी तरह की एक दर्जन से अधिक की दुकानें हैं, जो कचौड़ी के लिए प्रसिद्ध हैं. इन दुकानों पर सुबह छह बजे से कचौड़ी प्रेमियों की भीड़ देखी जा सकती है.
खाईडोरा निवासी शिव नारायण शर्मा ने 1951 में कचौड़ी की शुरुआत की थी. शिव नारायण शर्मा के नाती सुमित शर्मा शिब्बो इस समय दुकान संभाल रहे हैं. सुमित बताते हैं कि उनके दादाजी को प्यार से घर में शिब्बो कहा जाता था। आज यही नाम ब्रांड बन चुका है.
शिब्बो जी कचौड़ी की खास बात इसकी शुद्धता है. कचौड़ी शुद्ध देसी घी से निकाली जाती है. सब्जी के लिए मसाले घर पर ही तैयार किए जाते हैं. मसाले में जरा भी मिलावट नहीं होती है
कचौड़ी खाने के बाद लोगों का मन कुछ मीठा खाने का होता है और जलेबी से बेहतर विकल्प और क्या हो सकता है. यहां पर आपको जलेबी और कचौड़ी खाते हुए लोग रोज मिल जाएंगे.
महावीरगंज स्थित दाऊजी मंदिर के निकट देसीदेसी घी की कचौड़ी भी खूब जुबान पर चढ़ती है. यहां की सब्जी में गर्म घी की मिलावट स्वाद को और लाजवाब बना देती है.
सुरेश कचौड़ी रेलवे रोड व्यस्त बाजार में आता है. कपड़े से लेकर जूते-चप्पल और तमाम जरूरतों के सामान मिलते हैं. जो भी रेलवे रोड पर खरीदारी करने आता है तो यहां पर कचौड़ी खाना नहीं भूलता.
हरिओम कचौड़ी भी खूब पसंद की जाती है. खास बात है कि पत्ते पर सब्जी परोसी जाती है. सब्जी खत्म होने के बाद भी लोग पत्ते चटकारे के साथ चाटते हैं. मसूदाबाद चौराहे पर रोशन की कचौड़ी लोगों की पहली पसंद है.