द्रौपदी ने जब पांडवों से विवाह रचाया तो तय हुआ कि एक-एक वर्ष तक वो सबके साथ रहेगी. इस एक वर्ष में कोई भी दूसरा पांडव उसके कक्ष तक में प्रवेश नहीं करेगा.
अर्जुन का एक साल पूरा होने के बाद निकले ही थे कि अचानक गाय की रक्षा उन्हें करनी पड़ी. वो अपना धनुष बाण द्रौपदी के कक्ष में भूल गए थे. वो वचन भूल द्रौपदी के कक्ष में प्रवेश कर गए.
ऐसे में उन्हें एक वर्ष वनवास भोगना पड़ा. वनवास के दौरान उन्होंने कई नाग राक्षसों का वध किया, जिसका बदला लेने के लिए नागकन्या उलूपी अर्जुन के पास आई. लेकिन अर्जुन को देख मोहित हो गई और उससे विवाह कर लिया.
इरावन अर्जुन और नागकन्या उलूपी के ही बेटे थे. उलूपी का अर्जुन से विवाह वनवास के दौरान हुआ था. इरावन पिता की तरह बलशाली था.
इरावन अपने पिता की तरह धनुष बाण चलाने में माहिर था. कुरुक्षेत्र युद्ध में उसने शकुनि के 6 भाइयों का मारा और कौरवों के कई योद्धाओं को हराया.
इरावन ने कौरव योद्धा अवंती राजकुमार विंद, अनुविंद, शकुनि के भाइयों गज-गवाक्ष, ऋषभ-चर्मवान आर्जव-शुक्र, चर्मवान, दुर्योधन के साले सुदक्षिण और भूरिश्रवा के चार बेटों को भी मार डाला.
महाभारत युद्ध के दौरान पांडवों ने युद्ध में विजय के लिए मां काली की पूजा की थी, जिसमें एक राजकुमार की बलि आवश्यक थी. इसमें इरावन आगे आया.
अर्जुन के पुत्र इरावन बलि को राजी हुए. महाभारत युद्ध में मृत्यु निश्चय देख उसने तय कि वो अविवाहित होकर नहीं मरेगा, बल्कि विवाह करेगा
पांडवों के पक्ष का कोई राजा उससे अपनी पुत्री से इरावन विवाह कराने को तैयार नहीं हुआ.इस पर श्रीकृष्ण ने मोहिनी रूप धर उससे विवाह किया और पत्नी की तरह अंतिम विदाई भी दी.
भगवान श्रीकृष्ण ने मोहिनी का रूप धारण किया और इरावन को वरमाला डाली. युद्ध के 8वें दिन अलम्बुष राक्षस ने इरावन का वध किया.
तब से किन्नर इरावन को भगवान मानते हैं और एक रात के लिए अपने ही कुल देवता इरावन से विवाह करते हैं. किन्नरों का यह विवाह समारोह 18 दिन चलता है. 17वें दिन विवाह कर वो नई नवेली दुल्हन जैसे सजते संवरते हैं.
किन्नरों के पुरोहित उसे मंगलसूत्र पहनाते हैं. शादी के अगले दिन इरावन देवता की मूर्ति को शहर में घुमाकर तोड़ दिया जाता है. फिर किन्नर विधवा की तरह विलाप भी करते हैं.
पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.