वास्तु शास्त्र में घर से संबंधित सभी नियम ही नहीं, बल्कि हमारी दिनचर्या के बारे में भी बताया गया है. वास्तु शास्त्र में सोने से लेकर उठने तक के सारे नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना बहुत ही जरूरी है वरना हमारे जीवन प्रभावित हो सकता है.
वास्तु शास्त्र में रात को सोने से संबंधित कुछ नियम बताए गए हैं, जिन्हें पालन करना बेहद ही जरूरी है. आइए इन वास्तु नियमों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
वास्तु शास्त्र के मुताबिक बिल्कुल अंधेरे कमरे में नहीं सोना चाहिए. इसके अलावा मन्दिर और श्मशान में भी नहीं सोना चाहिए.
विष्णुस्मृति में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति सोया हुआ है तो उसको अचानक नहीं जगाना चाहिए.
चाणक्य नीति में इस बात का उल्लेख है कि विद्यार्थी, नौकर औऱ द्वारपाल अधिक समय से सो रहे हों तो इन्हें जगा देना चाहिए.
महाभारत ग्रंथ में कहा गया है कि स्वस्थ व्यक्ति को ब्रह्ममुहुर्त में उठ जाना चाहिए.
वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि आपको कभी भी भीगे पैर नहीं सोना चाहिए. सूखे पैर सोने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.
गौतम धर्म सूत्र के मुताबिक कभी भी नग्न होकर/निर्वस्त्र नहीं सोना चाहिए. जिस बिस्तर पर आप सो रहे हैं वो टूटा नहीं होना चाहिए.
दिन में कभी नहीं सोना चाहिए. परन्तु ज्येष्ठ मास में दोपहर के समय 1 मुहूर्त (48 मिनट) के लिए सो सकते हैं. दिन में सोने से रोग घेरते हैं तथा आयु का क्षरण होता .
वास्तु में कहा गया है कि दिन में तथा सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सोने वाला रोगी और दरिद्र हो जाता है.
दक्षिण दिशा में पांव करके कभी नहीं सोना चाहिए. ऐसा कहते हैं कि यहां पर यम और दुष्ट देवों का निवास रहता है.स्मृति- भ्रंश, मौ त व असंख्य बीमारियां होती है.
यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.