पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहाजी वाजपेयी की जयंती पर आज पूरा देश उनको याद कर रहा है. विरोधियों को भी अपनी वाकपटुता से कायल बना लेने वाले अटल बिहारी वाजपेयी अपनी हाजिर जवाबी के लिए जाने जाते थे. अटल जी अक्सर संसद या चुनाव मंच पर कविताओं के जरिए अपनी बात जनता तक पहुंचाया करते थे. तो आइये जानते हैं अटल जी के वे 10 अनमोल वचन कौन-कौन से हैं.
जीवन को टुकड़ों में नहीं बांटा जा सकता, उसका ‘पूर्णता’ में ही विचार किया जाना चाहिए!
मुझे स्वदेश-प्रेम, जीवन-दर्शन, प्रकृति तथा मधुर भाव की कविताएं बाल्यावस्था से ही आकर्षित करती रही हैं!
निरक्षरता और निर्धनता का बड़ा गहरा संबंध है!
सेवा-कार्यों की उम्मीद सरकार से नहीं की जा सकती. उसके लिए समाज-सेवी संस्थाओं को ही आगे उगना पड़ेगा!
जो राजनीति में रुचि लेता है, वह साहित्य के लिए समय नहीं निकाल पाता और साहित्यकार राजनीति के लिए समय नहीं दे पाता, लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं, जो दोनों के लिए समय देते हैं. वे अभिनंदनीय हैं!
अमावस के अभेद्य अंधकार का अंतःकरण पूर्णिमा की उज्ज्वलता का स्मरण कर थर्रा उठता है!
शिक्षा के द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है, व्यक्तित्व के उत्तम विकास के लिए शिक्षा का स्वरूप आदर्शों से युक्त होना चाहिए. हमारी माटी में आदर्शों की कमी नहीं है. शिक्षा द्वारा ही हम नवयुवकों में राष्ट्र प्रेम की भावना जाग्रत कर सकते हैं!
शिक्षा का माध्यम मातृ भाषा होनी चाहिए. ऊंची से ऊंची शिक्षा मातृ भाषा के माध्यम से दी जानी चाहिए!
राष्ट्र कुछ संप्रदायों तथा जनसमूहों का समुच्चय मात्र नहीं, अपितु एक जीवमान इकाई है!
साहित्य और राजनीति के कोई अलग-अलग खाने नहीं होते!