ईद उल-फित्र और ईद-उल-अजहा मुस्लिम समुदाय के महत्वपूर्ण त्योहार हैं. ईद उल-फित्र के 70 दिन बाद ईद-उल-अजहा का त्योहार आता है.
इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने ज़ु अल-हज्जा के 10वें दिन ईद का त्योहार मनाया जाता है. बकरीद को ईद-उल-अजहा भी कहा जाता है
साल 2024 में बकरीद का चांद 16 जून को देखा जाएगा, इसलिए बकरीद का त्योहार अगले दिन यानी 17 जून को मनाया जा सकता है.
बकरीद के दिन सुबह की नमाज पढ़ने के बाद ही कुर्बानी की रस्में निभाई जाती है. बकरीद पर मुस्लिम लोग भेड़ा या बकरों की कुर्बानी देते हैं.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये ईद मुसलमानों के एक पैग़म्बर और हज़रत मोहम्मद के पूर्वज हज़रत इब्राहिम की क़ुर्बानी को याद करने के लिए मनाई जाती है
मुसलमानों का विश्वास है कि अल्लाह ने इब्राहिम की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए अपनी सबसे प्यारी चीज़ की क़ुर्बानी मांगी थी, जिस पर इब्राहिम खरे उतरे थे.
एक बार हज़रत इब्राहिम अल्लाह के आदेश पर अपने बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बान कर रहे थे. अल्लाह ने उनके जज़्बे को देखते हुए उनके बेटे को जीवन-दान दे दिया.
हजरत इब्राहिम के बेटे की जगह एक बकरे की कुर्बानी दी गई थी. कहा जाता है तभी से बकरीद का त्योहार मनाया जाने लगा.
ईद-उल-अजहा (बलिदान का पर्व) को बड़ी ईद भी कहा जाता है. हालांकि दोनों को ही आम भाषा में ईद ही कहा जाता है.
यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee UP/UK इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है.