बारिश की ये रोमांटिक शायरी आपके दिलोदिमाग को यादों से भिगो देगी

Amrish Kumar Trivedi
Jun 28, 2024

सुहाना मौसम

तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे मैं एक शाम चुरा लूं अगर बुरा न लगे

बारिश में नहाना

तमाम रात नहाया था शहर बारिश में वो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे

बारिश के बादल

मैं वो सेहरा जिसे पानी की हवस ले डूबी तू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं

खुशनुमा माहौल

दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था

बारिश की आग

साथ बारिश में लिए फिरते हो उसको ऐ 'अंजुम' तुम ने इस शहर में क्या आग लगानी है कोई

बरसात का बादल

बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है

भीगी मिट्टी की महक

भीगी मिट्टी की महक प्यास बढ़ा देती है दर्द बरसात की बूंदों में बसा करता है

बारिश में तरबतर

अब के बारिश में तो ये कार-ए-ज़ियां होना ही था अपनी कच्ची बस्तियों को बे निशां होना ही था

बारिश की मेहरबानी

दूर तक फैला हुआ पानी ही पानी हर तरफ़ अब के बादल ने बहुत की मेहरबानी हर तरफ़

बारिश का मंजर

अजब पुर लुत्फ़ मंज़र देखता रहता हूं बारिश में बदन जलता है और मैं भीगता रहता हूँ बारिश में

दिल को छूना

दिल की कच्ची दीवारों को पानी की लहर काट गई पहली बारिश ही ने बरसात का कहर ढाया है मुझ पर

बारिश की बूंदें

फ़ुर्क़त ए यार में इंसान हूं मैं या कि सहाब हर बरस आ के रुला जाती है बरसात मुझे

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