भगवान राम का कुल सूर्यवंशी है. जिसमें इक्ष्वाकु और शर्याति जैसे कई राजाओं का जन्म हुआ.
पौराणिक कथा के अनुसार राजा शर्याति चार हज़ार पत्नियों के पति थे जिनके 9 पुत्र और एक पुत्री थी. पुत्री का नाम सुकन्या था.
सुकन्या सखियों के साथ थी तभी उसकी नज़र उस दीमक लगे बाम्बी पर पड़ गयी. सुकन्या को उसमें दो जुगनू जैसे ज्योति जलते हुए दिखाई पड़े जो च्यवन ऋषि की आंखें थीं जो चमक रही थीं.
सुकन्या ने कौतुहलवश एक काठी लेकर उन दोनों छिद्रों में घुसा दी. जिससे तत्काल ही खून बहने लगा और ऋषि च्यवन अंधे हो गए.
च्यवन ऋषि ने सुकन्या को शाप ना देते हुए राजा से कहा कि वो अपनी पुत्री का विवाह उनसे करा दे. ऋषि के इस प्रस्ताव से राजा- रानी चकित हो उठे.
सुकन्या से भूल हुई थी इसलिए सुकन्या ने सहर्ष च्यवन ऋषि से विवाह कर लिया और फिर दिन रात उनकी सेवा में लग गयी.
सूर्य के दोनों अश्विनी कुमार के बेटों ने सुकन्या की परीक्षा लेकर च्यवन ऋषि को हमेशा के लिए युवा बना देने की बात कही.
उन्होंने कहा कि हम, तुम्हारे पति ऋषि च्यवन एक साथ सरोवर में डुबकी लगाकर ऊपर आयेंगे तो तुमने अपने पति को पहचान लिया तो वह हमारी तरह सुन्दर और युवा हो जायेंगे. सुकन्या इसमें सफल हुई, ऋषि च्यवन हमेशा के लिया जवान बने रहे.
पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.