आमतौर पर हमारे घर में हरा धनिया, पुदीना, टमाटर-प्याज नारियल या कच्चे आम की चटनी बनाई जाती है. पकौड़े हो या समोसे चटनी के बिना अधूरे से लगते हैं. पर क्या आपने कभी भांग की चटनी खाई है.
चटनियों के इस विशाल सागर में से आप चाहे कितनी ही चटनियां खा लें, लेकिन अगर आपने उत्तराखंड की भांग की चटनी नहीं खाई तो समझें आप का जायका अभी अधूरा है.
जी हां उत्तराखंड में ये चटनी खासकर बनाई जाती है और लोग इसे काफी पसंद भी करते हैं. आप जब भी उत्तराखंड जाएं तो इसका स्वाद जरूर चखें.
भांग की चटनी का नाम सुनते ही कुछ लोग सोचेंगे की इसमें भांग है तो नशा होगा लेकिन आपको बता दें कि ये भांग की चटनी जरूर है पर इसमें नशा नहीं होता है.
ये पहाड की परंपरागत चटनी है. होली पर ये खासकर बनाई जाती है. इसे भांग के पकौड़ों के साथ भी खाया जाता है. आपको बताते हैं कि इसके कैसे बनाया जाता है.
50 ग्राम भांग के बीज, 1 से 2 हरी मिर्च, 4 छोटे चम्मच नींबू का रस, तीन छोटे चम्मच हरा , 3 छोटे चम्मच पुदीना, 1/2 छोटा चम्मच नमक, 2 से 3 साबुत लाल मिर्च. आधा छोटा चम्मच जीरा.
इसके लिए पहले भांग के दानों को छानकर उन्हें किसी कड़ाही में तब तक भूनें, जब तक वो चटक कर अपनी खुशबू न बिखरने लगें. फिर इन दानों को सिल पर बारीक पीस लें. मिक्सी में भी इसे पीस सकते हैं. बहुत ज्यादा बारीक न करें, दरदरा सा रखें.
जब सारे दानें पिस जाएं तो इसे छलनी में छान कर भांग के छिलकों को बाहर निकालें. नींबू को छोड़कर अन्य सामग्री को भी सिल पर रखें. अब इन सबको हल्का-हल्का पानी डालते हुए महीन पीसकर पेस्ट बना लें.
तैयार पेस्ट को किसी बरतन में निकालें और ऊपर से नींबू का रस निचोड़कर मिला लें. चटनी ना तो बहुत गाढ़ी हो और ना बहुत पतली. भांग की चटनी हल्की दरदरी ही अच्छी लगती है.
भांग की स्वादिष्ट चटनी बनकर तैयार है आप इसे चावल, सलाद, आलू के गुटके,रोटी या पराठे किसी के भी साथ परोसें. भांग की चटनी का उपयोग सलाद में मूली के साथ मिलाकर भी किया जाता है.
भांग के पौधे के बीज भांग के फल की तरह नशा पैदा करने वाले नहीं होते हैं बल्कि ये सेहत के लिए बेहद लाभकारी होते हैं. भांग की चटनी का सेवन पहाड़ों में बहुत पहले से किया जा रहा है.