यह एक तरह की झाड़ी है. इसका इंग्लिश नाम क्लेरोडेंड्रम है. इसमें सफेद रंग के आकर्ष फूल के कारण इसे व्हाइट बटरफ्लाई भी कहा जाता है.
आमतौर पर इसे भटवास, भट, भाट या भांत कहा जाता है. भांत का पौधा बेहद खूबसूरत होता है और इसमें लगे फूल बेहद आकर्षक होते हैं.
भाट डायबिटीज, डायरिया, पायरिया सहित कई तरह की बीमारियों को ठीक करता है, इसलिए यह पौधा संजीवनी बूटी की तरह काम करता है.
भाट की पत्तियों से डायरिया, लिवर डिजीज और सिर दर्द का इलाज किया जाता है.
इसकी जड़ से डैंड्रफ, पायरिया, मलेरिया, स्कैबिज, स्किन डिजीज, घाव, सूजन, सांप के काटने, ट्यूमर, बिच्छू के काटने का इलाज किया जाता है.
इसकी जड़ से डैंड्रफ, पायरिया, मलेरिया, स्कैबिज, स्किन डिजीज, घाव, सूजन, सांप के काटने, ट्यूमर, बिच्छू के काटने का इलाज किया जाता है.
इसके साथ ही भाट एंटी-डायबेटिक और एंटीकॉन्वुलसेंट गुण से भरपूर होता है. इससे मिर्गी का भी इलाज किया जाता है.
अगर पेट में कीड़े-मकोड़े ज्यादा हो गए हैं तो इसकी जड़ का चूर्ण बनाकर सेवन करने से कीड़े-मकौड़े पेट में ही मर जाते हैं.
भाट के पौधे में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटी डायबेटिक, एंटी-हाइपरटेंसिव, हाइपोग्लासेमिक और हाइपोलिपिडमिक गुण होता है.
यह लिवर को तंदुरुस्त रखने में भी बहुत फायदेमंद है. भाट शरीर से फ्री रेडिकल्स को खत्म करता है जिससे सेल्स से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का खात्मा होता है.