बिनसर चंद वंश के शासकों की तत्कालीन ग्रीष्मकालीन राजधानी थी, जिन्होंने 7वीं से 18वीं शताब्दी ईस्वी तक कुमाऊं पर शासन किया था.
बिनसर एक गढ़वाली शब्द है. जिसका अर्थ होता है,नव प्रभात. देवदार के जंगलों से घिरा बिनसर अल्मोढ़ा से सिर्फ 33 कि.मी. की दूरी पर है. बिनसर समुद्र तल से करीब 2,200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है.
यह लगभग 49.59 वर्ग किमी. में फैला हुआ है.इस वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी में प्रवेश के लिए आपको टिकट लेना पड़ता है .इस सेंक्चुरी में तेंदुआ, गोरा, जंगली बिल्ली, भालू, लोमड़ी, बार्किंग हिरण और कस्तूरी हिरण आदि पाए जाते हैं.
देवदार के घने जंगलों के बीच यहाँ एक मंदिर भी है, बिनसर महादेव का मंदिर.जिसे ‘बिनसर महादेव’ के नाम से भी जाना जाता है जो भगवान भोलेनाथ का मंदिर है. ये मंदिर हिंदुओं के लिए बहुत पवित्र स्थान है. इसे “दस लाख घंटों का मंदिर भी कहा जाता है.
जीरो पॉइंट से पूरा बिनसर आपको दिखाई देगा. एक नज़र में आपको दूर-दूर तक बिनसर के जंगलों की हरियाली आपका मन खुश कर देगी. आपाको यहाँ से सूर्यास्त ज़रूर देखना चाहिए तब आपको लगेगा कि बिनसर आकर अच्छा ही किया.
पहाड़ों में सबसे खूबसूरत होते हैं, दूर तलक दिखती चोटियाँ.आपको बिनसर में भी ऐसी ही खूबसूरत चोटियाँ दिखाई देंगी.यहाँ से आपको हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियाँ दिखाई देंगी .
कसार देवी मंदिर बिनसर से 40 मिनट की ड्राइव पर है . यह मंदिर अध्यात्म के केंद्र के रूप में जाना जाता है क्योंकि स्वामी विवेकानन्द ने इसी स्थान पर ध्यान किया था. यह मंदिर देवी कसार देवी को समर्पित है.
गणनाथ मंदिर बिनसर के पास प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है. उसी जिले में स्थित, यह अपनी प्राकृतिक गुफाओं और हिंदू भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर के लिए प्रसिद्ध है.
आप यहाँ कुमाऊँ पर्यटन विकास निगम के होटल में ठहर सकते हैं. इसके अलावा कुछ होटल भी हैं .आस-पास के गाँव में भी आप रुक सकते हैं
इसके लिए सबसे बेस्ट टाइम अक्टूबर से नवंबर तक का है. उस समय आसमान पूरी तरह साफ रहता है और हिमालय का खूबसूरत नज़ारा भी देखने को मिलेगा.अगर आपको यहाँ के जंगलों की खूबसूरती देखनी है तो मार्च-अप्रैल में आ सकते हैं.
इन सब जगहओं को घूमने के अलावा आप यहां ट्रैकिंग , प्रकृति की सैर , वन्यजीव सफ़ारी का भी मजा ले सकते है .