उत्तराखंड प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना है. यहां मसूरी, नैनीताल, चकराता जैसे कई हिल स्टेशन हैं, जिसकी खूबसूरती निहारने के लिए लाखों सैलानी देश-विदेश से आते हैं.
देवभूमि के हिल स्टेशन में कुछ ऐसे भी हिल स्टेशन थे, जहां ब्रिटिश काल में भारतीयों को पैर रखने की अनुमति नहीं थी. आइए जानते हैं उनके बारे में.
आज आप भले ही अपनी मर्जी से कभी भी मसूरी घूमने का प्लान बना सकते हैं, लेकिन ब्रिटिश काल में यहां भारतीयों को पैर रखने की भी इजाजत नहीं थी.
मसूरी के माल रोड पर ब्रिटिशर्स ने दीवार पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखवाया था- 'Indians and Dogs Not Allowed'.
यहां बड़े पैमाने पर मंसूर के पौधे उगते थे, जिसकी वजह से इस जगह को मन्सूरी कहा जाता था. फिर बाद में इसे मसूरी कहा जाने लगा.
ऐसा ही एक हिल स्टेशन है चकराता. इस हिल स्टेशन को भी ब्रिटिशर्स ने बसाया था, लेकिन आज इस जगह पर कोई भी विदेशी पैर नहीं रख सकता.
कहा जाता है कि ये जगह फिरंगियों को इतनी पसंद थी कि अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी के उच्च अधिकारी गर्मियों की छुटियों के दौरान यहां अपना समय बिताने आते थे.
उत्तराखंड की इस जगह पर केवल भारतीयों को ही घूमने की इजाजत है. दरअसल, 1869 में ब्रिटिश सरकार ने इसे कैंट बोर्ड के अधीन किया था. यहां से चीन की दूरी बेहद कम है.
1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद यहां तिब्बती यूनिट जमा हो गई थी. ऐसे में सुरक्षा के लिहाज से यहां किसी भी विदेशी सैलानी की एंट्री पूरी तरह से बैन है.
अब यहां पर इंडियन आर्मी का कैंप है. ऐसे में सिर्फ भारतीय नागरिक ही यहां घूमने जा सकते हैं. अगर कोई विदेशी जबरन यहां पर जाने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ सख्त एक्शन होता है.
अगर आप फ्लाइट से जा रहे हैं तो जॉली ग्रांट एयरपोर्ट से टैक्सी लेकर जा सकते हैं. वहीं, सड़क मार्ग से सीधे बस या टैक्सी से जा सकते हैं. देहरादून के लिए ट्रेन की भी सुविधा मौजूद है.
इसकी एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का Zeeupuk हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.