ये पर्व कृष्ण की बाल लीलाओं का प्रतीक माना जाता है. दही हांडी का पर्व पूरे भारत में जोर-शोर से मनाया जाता है.
दही हांडी उत्सव कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन मनाते हैं. महाराष्ट्र और गुजरात में दही हांडी उत्सव खूब जोर-शोर से मनाया जाता है.
वे गुलेल से सभी की हांडियां फोड़ा करते थे. हर साल दही हांडी उत्सव मनाया जाता है.
इसके बाद भी श्रीकृष्ण अपने दोस्तों के साथ मिलकर मक्खन की हांडी तोड़कर खा जाते थे. तभी से दही हांडी का पर्व मनाया जाने लगा.
दही हांडी फोड़ने को बेहद शुभ माना जाता है. मान्यतानुसार श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का अवतार हैं. जानते हैं इस साल दही हांडी उत्सव कब है.
इस साल जन्माष्टमी 6 सितंबर के दिन मनाई जा रही है लेकिन दही हांडी अगले दिन यानी 7 सितंबर के दिन फोड़ी जाएगी.
दही हांडी उत्सव का शुभ मुहूर्त सुबह से शाम तक के बीच माना जाता है. इस बीच हांडी फोड़ना बेहद शुभ रहेगा.
दही हांडी उत्सव मनाने के लिए किसी चौराहे या मैदान की ऊंचाई पर दही की मटकी यानी दही हांडी को बांधा जाता है. यह हांडी मिट्टी की बनी होती है.
गोविंदाओं की टोली इस दही हांडी को फोड़ने के लिए दूर-दूर से आती है. ये भारत में कई जगहों पर मनाया जाता है.
पिरामिड बनाते हुए ऊपर की तरफ बढ़ती है. आखिर में जो दही हांडी फोड़ता है वही विजेता होता है.