असम का कामाख्या मंदिर अद्भुत रहस्यों से भरा हुआ है.
कामाख्या मंदिर कामरूप के क्षेत्र में स्थित है, यहां मां सती की योनि गिरी थी.
इस मंदिर की उत्पत्ति 8वीं शताब्दी में हुई थी, यह 108 शक्ति पीठों में से एक है.
कामाख्या मंदिर में देवी कामाख्या की कोई मूर्ति नहीं है, यहां केवल योनि की पूजा की जाती है.
मंदिर के चार गर्भगृहों में गरवर्गीहा देवी सती के गर्भ का घर है.
इस मंदिर में देवी को मासिक धर्म होने कारण उन्हें मासिक धर्म की देवी कहते हैं.
माँ को मासिक धर्म होने के कारण आषाढ़ के महीने में मंदिर के पास से गुजरने वाली ब्रह्मपुत्र नदी लाल हो जाती है.
तीन दिनों तक माहवारी के दौरान बंद रहने के बाद मंदिर चौथे दिन वार्षिक प्रजनन उत्सव के साथ खुलता है.
यहां लोग मां के मासिक धर्म के खून से लिपटे हुए कपड़े को पाने के लिए घंटों लाइन में खड़े रहते हैं.
इस मंदिर में शक्ति प्राप्त करने के लिए साधु गुफाओं में बैठकर कठिन साधना करते हैं.
दी गई जानकारी दूसरे विभिन्न स्रोतों से एकत्रित की गई, ZEE UPUK इसकी पुष्टि नहीं करता.