चारों धामों की रक्षा करने वाली ये देवी आज भी करती हैं चमत्कार, यहां के रहस्य जान आप भी बोलेंगे जय माता की
सिद्धपीठ मां धारी देवी का मंदिर श्रीनगर गढ़वाल से 14 किलोमीटर दूर अलकनंदा नदी के ऊपर स्थित है.
इस मंदिर में लोग दूर- दूर से दर्शन करने आते हैं. यहां भक्त हर दिन माता को अलग- अलग रूपों में देखते हैं. इस मंदिर में माता धारी देवी की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती हैं. यहां माता की काली के रूप में पूजा होती है.
यहां मूर्ति सुबह कन्या के रूप में दिखती हैं, दिन में युवती के रूप में और शाम को एक बूढ़ी महिला के रूप में नजर आती हैं.
इस मदिर को लेकर मान्यता है कि मां धारी देवी उत्तराखंड के चारों धामों की रक्षा करती हैं. इस देवी को रक्षक देवी भी कहा जाता है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि 16 जून के 2013 की शाम को धारी मां की मूर्ति को हटाया गया था औऱ उसी रात केदारनाथ में भयंकर आपदा आई थी.
कहते हैं कि धारी देवी सात भाइयों की इकलौती बहन थी, बचपन में ही माता पिता के देहांत के बाद सातों भाइयों ने धारी देवी की देखरेख की वह भी अपने भाइयों की खूब सेवा करती थी एक दिन भाइयों को पता चला कि उनकी बहन के ग्रह भाइयों के लिए खराब हैं. इस वजह से वो अपनी बहन से नफ़रत करने लगे.
जब वह कन्या तेरह साल की थी तो उसके पांच भाइयों की मृत्यु हो गई बचे हुए दो भाइयों को लगा कि इसी बहन के ग्रहों के कारण भाइयों की मृत्यु हो गई है, फिर उन्होंने रात्रि के समय में कन्या की हत्या कर दी और उसका सिर धड़ से अलग कर दिया और गंगा में बहा दिया.
कन्या का सिर बहते हुए दूर धारी गांव में पहुंच गया, प्रातः काल में नदी किनारे एक व्यक्ति कपड़े धो रहा था उसे लगा कि एक कन्या डूब रही है बचाने का प्रयास किया परंतु पानी बहुत था इसलिए पीछे हटा तभी उस सिर में से आवाज आई कि डर मत मुझे बचा तू जहां जहां पैर रखेगा वहां पर सीढ़ियां बनती जायेंगी.
उस व्यक्ति ने ऐसा ही किया और सीढ़ियां बनती गई, जैसे ही उसने कन्या समझकर सिर को उठाया तो कटा सिर देखकर घबरा गया फिर सिर पर से आवाज आई कि मैं देवी रूप में हूं तू मुझे किसी पवित्र स्थान पर पत्थर के ऊपर स्थापित कर दे, व्यक्ति ने वैसा ही किया तब देवी ने उसे सारी बात बताई और पत्थर में परिवर्तित हो गई.
कन्या के शरीर का बाकी हिस्सा काली मठ में है जहां मैठाणा मां के रूप में सुप्रसिद्ध है. धारी देवी मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में स्थित है मां धारी को उत्तराखंड की रक्षक भी कहा जाता है. मां की कृपा संपूर्ण जगत पर सदैव बनी रहे.