14 वर्ष के वनवास से लौटने के बाद सबसे पहले किससे मिले भगवान राम

Preeti Chauhan
Nov 05, 2023

विजय और प्रकाश का पर्व दिवाली

दीपावली का त्योहार हिंदू धर्म की आस्था से जुड़ा बहुत महत्वपूर्ण पर्व है. यह पर्व विजय और प्रकाश का पर्व है. दिवाली का प्रथम पर्व अयोध्या नगरी में उस समय मनाया गया जब त्रेतायुग में भगवान राम अपने 14 सालों का वनवास पूरा कर अयोध्या पधारे थे.

किससे पहले मिले श्री राम

क्या आप जानते हैं त्रेतायुग में जब श्री राम अयोध्या आए तो किनसे सबसे पहले मिले थे. आज हम आपको बताने जा रहे हैं जब भगवान राम अयोध्या लौटे तो सबसे पहले वो किनसे मिले थे

हुआ था भव्य स्वागत

जब भगवान राम 14 वर्ष का वनवास बिताने के बाद अवध पुरी आए तो अयोध्यावासियों ने उस मार्ग पर फूल बिछा दिए थे. दीपों की पंक्तियां जगह-जगह लगा दी थी. खुशी में अयोध्यावासी मंगल गीत गा रहे थे. देवता गण पु्ष्प वर्षा कर रहे थे.

रामचरितमानस में वर्णित

ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग भी अयोध्या नगरी के आगे फीका पड़ गया हो. ये सारी बातें दिव्य ग्रंथ रामचरितमानस में वर्णित हैं. इस लेख में जानते हैं वो दोहे जिसमें भगवान राम के स्वागत से जुड़ी बातें बताई गई हैं.

भरत को हृदय से लगाया

भगवान राम जब वनवास के लिए अयोध्या से गए थे तब उनके प्रिय भाई भरत ने प्रण लिया था और कहा था कि आपका भाई भरत प्रण लेता है कि जब तक आपका वनवास रहेगा तब तक में आपके कुशल मंगल रहने के लिए 14 वर्षों तक अयोध्या स्थित नंदीग्राम में रह कर तप करूंगा.

भरत ने कही थी ये बात

भरत ने कहा था कि यदि भ्राता श्री आप चौदह वर्ष के वनवास को पूर्ण करने के अंतिम दिन अयोध्या नहीं आए तो आपका ये भाई भरत अपने प्राण त्याग देगा.

भरत को हृदय से लगाया

इतना सुनकर श्री राम ने अपने प्रिय भाई भरत को हृदय से लगाया और वचन दिया था कि 14 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद अयोध्या आऊंगा. जब भगवान राम वनवास पूर्ण करने के बाद अयोध्या आए तो सबसे पहले अपने भाई भरत से अयोध्या स्थित नंदीग्राम में मिले थे. प्रिय भाई भरत को प्रेम पूर्वक हृदय से लगाया और यह क्षण भरत मिलाप कहलाया.

महादेव ने की स्तुति

शास्त्रों में कहा जाता है कि राम शिव को जपते हैं और शिव राम को दोनों में कोई भी भेद नहीं है. जब भगवान राम चौदह वर्ष का वनवास करके वापस करने के बाद अयोध्या आए तब शिव जी ने प्रसन्न हो कर उनके स्वागत में स्तुति गाई थी.

स्तुति इस प्रकार

यह स्तुति रामचरितमानस में भी वर्णित है. जय राम रमारमनं समनं। भव ताप भयाकुल पाहि जनं।। अवधेस सुरेस रमेस बिभो। सरनागत मागत पाहि प्रभो।।

Disclaimer

यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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