उत्तर भारत में आईएएस या आईपीएस बनने का सपना देखने वाले बहुत से छात्र चाहते हैं कि उनका एडमिशन इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हो जाए. यहां पर एडमिशन की प्रक्रिया काफी कड़ी होती है.
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की स्थापना 23 सितंबर, 1887 को हुई थी. उस समय ये यूनिवर्सिटी शहर के दरभंगा कैसल में एक किराए के घर में हुई थी. पहले चरण में यहां केवल छह प्रोफेसर और 12 छात्र थे.
यह भारत की चौथी सबसे पुरानी और उत्तर प्रदेश की पहली यूनिवर्सिटी है.इसकी स्थापना संयुक्त प्रांत के लेफ़्टिनेंट गवर्नर सर विलियम मुइर की देखरेख में हुई थी. इसकी वास्तुकला में मिस्र, इंग्लैंड, और भारत की वास्तुकला के तत्व देखे जा सकते हैं.
साल 2005 तक ये यूनिवर्सिटी राज्य सरकार द्वारा संचालित होती रही, लेकिन 2005 में इसे केंद्रीय यूनिवर्सिटी घोषित किया गया. यहां पर इस समय 28 विभाग है. 25 हजार छात्र यहां पर पढ़ाई कर रहे हैं.
इस यूनिवर्सिटी की लाल-पीली दीवारों में भारत की राजनीति, साहित्य, कला और समाज के गौरव का इतिहास समाया हुआ है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने महिलाओं की शिक्षा के लिए कई काम किए हैं.
यह राजपूताना से लेकर बंगाल तक के छात्रों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बनी. इसके अलावा, उच्च स्तरीय अध्ययन और अध्यापन के कारण इसे ‘पूर्व का ऑक्सफोर्ड’ कहा गया.
इलाहाबाद में उच्च शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए स्थानीय लोगों ने एक लंबा संघर्ष किया. आखिरकार, 1887 में एक्ट XV-11 पास हुआ और विधिवत इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना हुई.
विश्वविद्यालय की पहली प्रवेश परीक्षा 1889 में हुई. इस परीक्षा में पूरे भारत से छात्रों ने हिस्सा लिया. इस परीक्षा के माध्यम से इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने देश भर के छात्रों को उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान किए.
कॉलेज के भवन का डिज़ाइन डब्ल्यू एमर्सन ने बनाया था. कॉलेज का भवन पूरा होने में 12 साल लग गए. इस भवन का औपचारिक उद्घाटन 8 अप्रैल 1886 को वायसराय लार्ड डफरिन ने किया.
इस विश्वविद्यालय से कई ऐसे साहित्यकार महादेवी वर्मा, फिराक गोरखपुरी, भगवती चरण वर्मा, हरिवंश राय बच्चन, कमलेश्वर और मित्रा नंदन पंत जैसे नाम शामिल हैं.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने देश को दो राष्ट्रपति दिए हैं. डॉ. शंकर दयाल शर्मा और जाकिर हुसैन दोनों ही इस विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं.तीन प्रधानमंत्री भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़कर निकले हैं. गुलजारी लाल नंदा, विश्वनाथ प्रताप सिंह और चंद्रशेखर ने भी इसी विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की.इलाहाबाद विश्वविद्यालय से छह मुख्यमंत्रियों ने भी शिक्षा प्राप्त की है.
साल 2018 में इलाहाबाद (Allahabad) का नाम बदलकर प्रयागराज (Prayagraj) किया गया था. लेकिन, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का नाम नहीं बदला गया क्योंकि विश्वविद्यालय के कई सदस्यों और एल्युमिनाई ने इसका विरोध किया था.तर्क था कि शहर का नाम बदलने के बावजूद मद्रास और कलकत्ता यूनिवर्सिटी के नाम नहीं बदले गए, तो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का नाम क्यों बदला जाए.
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