महाभारत में दुर्योधन का वो दोस्त, जिसने पांडवों और कृष्ण का भरे दरबार में किया अपमान

Amrish Kumar Trivedi
Jul 16, 2024

शकुनि के तीन पुत्र

उलूक गांधार नरेश शकुनि और रानी आर्शी का ज्येठ पुत्र था. शकुनि के तीनों पुत्रों में केवल वही था, जिसने महाभारत के युद्ध में भाग लिया था.

युद्ध में भूमिका

वो महाभारत के उन गिने चुने योद्धाओं में था जो युद्ध के 18वें दिन तक जीवित रहा. महाभारत कथा में उलूक की भूमिका युद्ध के पहले थी.

शकुनि का बेटा

महाराज सुबल की मृत्यु के पश्चात शकुनि को गांधार का राजा बनाया गया, लेकि वो गांधार में अधिक समय तक नहीं रुका. उसने अपने पुत्र उलूक को अंतरिम राजा बनाया.

उलूक का समर्थन

युद्ध से कुछ दिन पहले ही उलूक अपने पिता के पास हस्तिनापुर आया. उसने दुर्योधन से वादा किया कि गांधार सेना उसका समर्थन करेगी.

उलूक बना दूत

युद्ध के एक दिन पहले पांडवों का अपमान करने को दुर्योधन ने उलूक को दूत बना कर पांडवों के पास भेजा. उलूक दुर्योधन का तीखा संदेश लेकर पांडवों के पास गया.

अपमानजनक संदेश

उलूक पांडवों के दरबार में पहुंचा. उसने दुर्योधन द्वारा पांचों पांडवों को खूब खरी-खोटी वाला अपमानजनक संदेश उसी तरह सुनाया. उसने अर्जुन-भीम से लेकर सबकी वीरता की खिल्ली उड़ाई

वध को तैयार

दुर्योधन के संदेश में इतनी आपत्तिजनक बातें थी कि भीम और अर्जुन तो उलूक के वध के लिए तैयार हो गए, युधिष्ठिर ने दूत की मर्यादा का ध्यान रखते हुए रोका.

दुर्योधन को जवाबी संदेश

श्रीकृष्ण को भी उसने खूब भला बुरा कहा. पर कृष्ण ने उलूक से केवल इतना कहा कि हमने तुम्हारा सन्देश सुन लिया. जाओ और दुर्योधन से कहना कि युद्ध में हम उससे मिलेंगे

भीम की धमकी

भीम के बाद सहदेव ने भी दुर्योधन की जांघ चीर देने और शकुनि के लिए अपना कड़ा सन्देश उलूक के हाथों भिजवाया.अर्जुन और फिर नकुल ने भी ऐसा ही संदेश भिजवाया.

श्रीकृष्ण का कठोर संदेश

युधिष्ठिर ने भी क्रोध में उलूक को सन्देश दुर्योधन को सुनाने को कहा. श्रीकृष्ण ने भी अंत में दुर्योधन के लिए अपना कठोर सन्देश उलूक को दिया.

दुर्योधन को चुनौती

उलूक ने लौटकर पांडवों का चेतावनी भरा संदेश दुर्योधन को सुनाया, लेकिन अहंकार में चूर दुर्योधन ने युद्ध की चुनौती को कबूल कर लिया.

उलूक और सहदेव की जंग

युद्ध के अंतिम दिन सहदेव ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार शकुनि के वध के लिए उस पर हमला किया. शकुनि का पुत्र उलूक बीच में आया और सहदेव में घोर युद्ध हुआ.

सहदेव ने किया वध

सहदेव शकुनि का वध करने वाले थे कि उलूक ने अपने पिता को बचाने आया. भीषण युद्ध के बाद सहदेव ने शकुनि के सामने उलूक का वध कर दिया. फिर सहदेव ने शकुनि का भी वध कर प्रतिज्ञा पूरी की

डिस्क्लेमर

पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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