श्री प्रेमानंद जी महाराज ने ताकतवर मंत्र के बापे में बताया कि भयानक विपत्ति को भी यह चुटकियों में नष्ट कर सकता है.
मंत्र - 'ऊं कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:।।'
इस ताकतवर मंत्र का जाप करो, जब तक आपका काम ना हो जाए तब आप ब्रह्मचर्य से रहो.
झूठ न बोलो, अहंकार न करो, मदिरा न पीना, मांस न खाना. आपका काम ना हो जाए तो बोलना.
सोचो की झूठ बोलें, व्याभिचार करें, मदिरा का सेवन करें, तब तो अपने लिए मंत्र का जाप करवा लें या दान दें. सोचें मनोकामना पूरी हो जाए. तो ऐसा नहीं होगा.
राक्षस भी किसी मनोकामना के लिए अनुष्ठान करता था तो नियमों का पालन करता था. इसके बीना मनोकामना पूर्ति नहीं होती.
ये तय है कि मनोकामना की पूर्ति के लिए सांगोपांग अनुष्ठान करने से मनोकामना पूर्ति न हो, ये नहीं होता.
ऐसे में पूरे नियम व भक्ति भाव से मंत्रों का जाप करें, लाभ अवश्य होगा.
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