वो मुगल बादशाह जो सिर्फ गंगाजल पीता था, हजारों किमी दूर से आता था पानी

Jun 23, 2024

गंगा नदी

गंगा नदी को भारत में सबसे पवित्र नदी माना जाता है. इसके जल को अमृत से कम नहीं समझा जाता है.

गंगा जल का सम्मान

दिलचस्प बात ये है कि न सिर्फ़ हिंदू, बल्क़ि दूसरे धर्मों के लोग भी गंगा नदी को बेहद सम्मान के साथ देखते हैं.

पवित्र

यहां तक कि मुगल शासक भी गंगा नदी के जल को बेहद पवित्र मानते थे. ऐसे में आज हम आपको उस मुगल शासक के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सिर्फ़ गंगा जल ही पीता था.

अकबर

वो मुगल शासक कोई और नहीं, बल्क़ि अकबर था. अबुल फज़ल ने ‘आइन-ए-अक़बरी’ में गंगाजल के लिए अक़बर के इस प्यार का ज़िक्र भी किया है.

ऐतिहासिक

ऐतिहासिक स्रोतों के मुताबिक अकबर गंगा जल की शुद्धता और अपनी सेहत के लिए गंगा जल ही पीते थे.

अक़बर का खाना

अक़बर का खाना पकाने के लिये यमुना और चेनाब नदी के पानी का इस्तेमाल किया जाता था. उसमें भी गंगाजल ज़रूर मिलाया जाता था.

हरिद्वार से पानी

वहीं,जब अकबर ने लाहौर को राजधानी बनाया, तो पीने का पानी हरिद्वार से लाया जाता था. गंगा जल लाने के लिए कई घुड़सवार नियुक्त थे.

बाबर और हुमायूं

सिर्फ़ अक़बर ही नहीं, बल्कि उसके पहले बाबर और हुमायूं को भी गंगाजल ही पसंद था. उन्होंने इसे आब-ए-हयात यानि स्वर्ग का पानी माना था.

शुद्ध और साफ पानी

अकबर का मानना था कि गंगा जल सबसे शुद्ध और साफ पानी है और इसमें कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता है.

उत्तर प्रदेश

अक़बर जब आगरा और फ़तेहपुर सीकरी में रहता था तो गंगाजल सोरों (उत्तर प्रदेश) से लाया जाता था.

गंगाजल

इतिहासकार के मुताबिक अक़बर चाहें घर पर हो या यात्रा में, वो गंगाजल ही पीता था. इसके लिये गंगा नदी के किनारे कुछ भरोसेमंद लोग तैनात थे, जो रोज़ सीलबंद जार में पानी भेजते थे.

इतिहासकारों के मुताबिक

दरअसल, इसके पीछे वजह भी थी. गंगाजल को लंबे वक़्त तक के लिये स्टोर किया जा सकता है. उसमें बैक्टीरिया भी नहीं पनपते.

लैब टेस्ट

बता दें, गंगाजल के पवित्र होने को लेकर सिर्फ़ भारतीयों की मान्यताएं ही नहीं है, बल्कि लैब टेस्ट में ये साबित भी हुआ है.

डिस्क्लेमर

मुगलकालीन पात्रों की यह कहानी मान्यताओं और इतिहासकारों की पुस्तकों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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