ब्राह्मण को भोजन कराते समय कुछ नियमों का पालन करना जरुरी है ताकि पितरों की आत्मा को तृप्ति महसूस हो.
ब्राह्मणों द्वारा किया गया भोजन पितरों को मिलता है. ब्राह्मण को भोजन कराए बिना श्राद्ध पूर्ण नहीं होता है. भोज में कोई कमी हो तो पितर भूखे लौट जाते हैं और परिवार में परशानियां आती हैं.
ब्राह्मण आपका पैतृक का क्षेत्रीय होना चाहिए. उससे आपके पितर प्रसन्न होते हैं. क्योंकि यह पीढ़ियों का रिश्ता होता है.
ब्राह्मणों को भोजन बनाने और परोसने के लिए तांबे, पीतल, चांदी, कांसे आदि के बर्तन प्रयोग करने चाहिए. भूल से भी लोहे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
सुबह व शाम का समय देवताओं के लिए होता है. पितरों के लिए दोपहर का समय शुभ होता है. ब्राह्मण को इसी समय भोज पर आमंत्रित करें.
जिनका श्राद्ध किया जा रहा है उनकी पसंद का भोजन बनाएं. दूध से बनी चीजें जरूर शामिल करें. मीठा परोसें. बासी भोजन भूल से भी न खिलाएं.
ब्राह्मण को दक्षिण दिशा की और मुंह करके बिठाएं. जमीन पर आसान लगाकर प्रेम से खाना खिलाएं.
ब्राह्मण से कहें कि एक दिन में एक ही श्राद्ध का भोजन करें. अगर ब्राह्मण एक ही दिन में एक से ज्यादा जगह भोज खाए तो यह खाना पितरों को नहीं पहुंचता.
ब्राह्मण से भोजन करते समय बातचीत न करें, शान्ति से खिलाएं. भोज के बाद भी खाने के बारे में सवाल जवाब नहीं करने चाहिए कि खाना कैसा बना था.