भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को राधा जन्मोत्सव अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. राधा अष्टमी श्री कृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद मनाई जाती है.
देवी राधा को दिव्य प्रेम, कोमलता, करुणा और भक्ति की देवी के रूप में पूजा जाता है. राधा कृष्ण की साथ में पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करना हो, तो श्रीराधा रानी की पूजा करनी चाहिए, कान्हा और राधा जी की पूजा करने पर सुखी दांपत्य, रोजगार में तरक्की और आर्थिक लाभ का आशीर्वाद मिलता है.
भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की मूर्ति के सामने कपूर रखें, पूजा के बाद इस कपूर को मिट्टी के दीपक में रखकर बैडरूम में जलाएं. पति पत्नी का रिश्ता मजबूत होता है.
अपने मनपसंद प्रेमी या प्रेमिका से विवाह करने के लिए एक भोज पत्र लाना चाहिए और उस पर सफेद चंदन से अपने प्रेमी या प्रेमिका का नाम लिखकर राधा कृष्ण के चरणों में अर्पित करना चाहिए.
चांदी का सिक्का लें और ऊँ राधा कृष्णाय नम: मंत्र का 108 बार जाप करें और इस सिक्के को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रख दें, ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी.
राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की पूजा करते समय आठ मुख वाले दीपक का प्रयोग करें, इस दिन अष्टमुखी दीपक में इत्र मिलाकर जलाने से समाज में मान-सम्मान बढ़ता है और सुख-समृद्धि आती है.
भगवान कृष्ण को पीला और राधा रानी को गुलाबी वस्त्र अर्पित करें. फिर ‘राधावल्लभाय नम:’ मंत्र का जाप करें.
गुप्त रूप से तिल, उड़द दाल, काले कपड़े, और लोहे का दान करें. इससे विवाह में हो रही देरी में रुकावटे पैदा करने वाले दोष का प्रभाव दूर हो जाता है.
कन्या के विवाह में अड़चन आ रही है तो उन्हें राधा अष्टमी के दिन ऊं ह्रीं श्री राधिकायै नम: मंत्र का जाप करना चाहिए. शीघ्र विवाह के योग बनेंगे.