मनीष सिसोदिया को 17 महीने बाद जमानत मिल गई है. दिल्ली शराब घोटाले के आरोप में जेल में बंद मनीष सिसोदिया अब बाहर आ सकेंगे. यूपी के हापुड़ के रहने वाले मनीष सिसोदिया का राजतिक करियर संघर्ष पूर्ण रहा है. तो आइये जानते हैं पत्रकार से नेता बने मनीष सिसोदिया का राजनीति में कैसे कद बढ़ता गया.
मनीष सिसोदिया का जन्म यूपी के हापुड जिले के फगौता गांव में 5 जनवरी 1972 को हुआ था.
उनके पिता एक पब्लिक स्कूल में शिक्षक थे. मनीष सिसोदिया की शुरुआती पढ़ाई-खिलाई गांव में ही हुई.
इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए वह दिल्ली आ गए और यहां 1993 में भारती विद्या भवन से पत्रकारिता में डिप्लोमा किया.
मनीष सिसोदिया लंबे समय तक प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुड़े रहे. उन्होंने एफएम रेडिया में भी काम किया.
इतना ही नहीं साल 1996 से 2005 तक वह एक निजी न्यूज चैनल में बतौर रिपोर्टर काम किया. इसके बाद 2006 में उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी.
इस बीच उनकी मुलाकात अरविंद केजरीवाल से हो गई. साल 1998 में दोनों पहली बार मिले, तब अरविंद केजरीवाल आईआरएस अफसर थे.
इसके बाद अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने मिलकर 'पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन' की स्थापना की.
साल 2006 के बाद मनीष सिसोदिया ने नौकरी छोड़कर एनजीओ में ही पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया.
साल 2011 में जनलोकपाल बिल को लेकर अन्ना हजारे का आंदोलन हुआ. तब अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने पूरी जिम्मेदारी संभाली.
इसके बाद 2 अक्टूबर 2012 को अरविंद केजरीवाल ने राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया.
2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव हुए और मनीष सिसोदिया ने पटपड़गंज विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.
2015 में एक बार फिर मनीष सिसोदिया ने पटपड़गंज से चुनाव लड़ा और जीत गए.
17 महीने बाद जमानत मिलने पर मनीष के गाजियाबाद के वसुंधरा स्थित घर पर खुशी का माहौल है. उनके परिवार के लोगों से मिलने वाले जुट रहे हैं.
मनीष सिसोदिया की पत्नी का नाम सीमा सिसोदिया है. मनीष और सीमा को एक बेटा है, जिसका नाम मीर सिसोदिया है.