दशमूल काढ़ा, एक प्राचीन आयुर्वेदिक हर्बल जड़ीबूटी है, जिसका उपयोग कई बीमारियों से निपटने में किया जाता है
दशमूल एक प्रकार की मूल यानी जड़ होती है जिसको सुखाने के बाद पीसकर इसका काढ़ा तैयार किया जाता है
यह काढ़ा विशेष रूप से तंत्रिकाओं, मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों से संबंधित बीमारियों के लिए बेहद कारगर है.
दशमूल के काढ़े में सूजन-रोधी गुण पाए जाते हैं. जो कि गठिया जैसी बीमारी में शरीर में आई सूजन को कम कर देते है.
मांसपेशियों की ऐंठन, कमर दर्द जैसी कई समस्याओं में दशमूल का काढ़ा अमृत है.
यह तंत्रिका टॉनिक के रूप में काम करता है, नसों और मांसपेशियों को मजबूत करता है, और कंपकंपी, अचानक से goosebumps जैसी बीमारियों में कारगर है.
दशमूल काढ़ा पाचन में सहायता करता है, पेट की जठर अग्नि को बढ़ाता है, और कब्ज, गैस और सूजन जैसे पाचन डिसऑर्डर के उपचार में मदद करता है
दशमूल के काढ़े में सेंधा नमक और यवक्षार 2-2 ग्राम डालकर पीने से ह्रदय रोग, दमा, पेट की गांठ ठीक होती है.
दशमूल गुड़ के सेवन से भूख की कमी, पुराना बुखार, पेट दर्द, तिल्ली का बढ़ जाना, ग्रहिणी दोष आदि पेट के रोगों के लिए लाभकारी होता है.
दशमूल काढ़ा अपनी कफनाशक क्रियाओं के कारण खांसी, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और सांस लेने में कठिनाई जैसी श्वसन समस्याओं के लिए फायदेमंद हो सकता है
दशमूल का काढ़ा आपके शरीर को पूरे दिन उर्जा से भरे हुए रखता है. इसे पीने के बाद आपको आलस नहीं सताएगा