प्रह्लाद को गोद लेकर यहां जली थी होलिका, यूपी के इसी गांव में था हिरण्यकश्यप का साम्राज्य

Sandeep Bhardwaj
Mar 24, 2024

हिरण्यकश्यप की राजधानी

माना जाता है कि वर्तमान झांसी से 70 किमी दूर एरच कस्बा राजा हिरण्यकश्यप की राजधानी था.

मान्यता है कि

मान्यता है कि होली पर्व की शुरुआत झांसी जिले के एरच कस्बे से हुई थी, बेतवा नदी के किनारे बसा डिकोली गांव ऐतिहासिक डेकांचल पर्वत के किनारे बसा है.

इसी डेकांचल पर्वत से भक्त प्रहलाद को नदी में फेंका गया था, इसे अब प्रह्लाद कुंड के नाम से जाना जाता है.

एरच कस्बे में हिरण्यकश्यप के महल और प्राचीन भवनों के अवशेष वर्तमान में भी समय में मौजूद हैं.

इसी महल के पास हिरण्यकश्यप की बहन होलिका भक्त प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठी थी और जल गई थी. यहां से होलिका दहन की शुरुआत हुई.

झांसी के एरच कस्बे में भगवान नरसिंह का एक प्राचीन मंदिर स्थित है. मंदिर में नरसिंह भगवान की मूर्तियां मौजूद हैं.

बौद्ध धर्म ग्रन्थ पेतवत्थु में एरच को एरीकाक्षा कहा गया है जो दसन्ना जनपद का प्रमुख शहर था.

यहां पुरातत्व विभाग को खुदाई में अनेक ऐसे प्रमाण मिले हैं जो राजा हिराकश्यप, कयाधु और प्रहलाद से जुड़े हुए हैं.

पुरातात्विक खुदाई में कई ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जो बताते हैं कि झांसी जिले का एरच क़स्बा लगभग तीन हज़ार साल पुराना है.

कहते हैं हिरण्यकश्यप के वध के बाद यहीं पर देवताओं और दानवों की पंचायत हुई थी. दोनों पक्षों ने एक दूसरे को रंग अबीर लगाकर दुश्मनी को मिटाने का संदेश दिया और होली की शुरुआत हुई.

5 दिनों तक चलने वाले एरच होली महोत्सव के अंतर्गत सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और शहर को बहुत ही खूबसूरत ढंग से सजाया जाता है.

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