फलों के राजा आम को हर कोई पसंद करता है. इसके रसीले स्वाद को सुनकर हर किसी के मुंह में पानी आ जाता है.
आम की कई किस्में हैं, जिनमें चौसा एक है. जुलाई के महीने में आने वाला यह आम का स्वाद बेहद लाजवाब होता है.
दिखने में यह बेहद आकर्षक और मनमोहन महक वाला होता है. आखिरी समय में यह बाजार में आता है, जिससे अन्य किस्म के आम बाजार में आना बंद हो जाते हैं.
चौसा आम पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की खासियत हुआ करता है.
इतिहास के अनुसार पूर्वी उत्तर प्रदेश से इसके विशेष संबंध के आधार पर पहले इसे ग़ाज़ीपुरिया कहा जाता था.
इस ग़ाज़ीपुरिया आम को अफगान राजा शेरशाह सूरी ने चौसा नाम दिया था.
1539 की लड़ाई में हुमायूं को बिहार के चौसा में हराया था.
इसके बाद उन्होंने अपने पसंदीदा आम के साथ जीत का जश्न मनाया था और इस आम का नाम ‘चौसा’ रखा था.
एक बार जब इन पेड़ों के फल उसके पास भेजे गए तो वह मात्रा और संख्या में कम थे और थोड़े खराब हो गए थे, इसलिए शाहजहां ने अपने बेटे को डांटा.