रामायण भगवान राम, हनुमान, रावण, बाली और कुंभकरण जैसे बड़े योद्धाओं से भरी हुई है.
रामायण का युद्ध सत्य और असत्य के बीच का थी. लंका युद्ध में सत्य की जीत होती है.
लंका में रावण, कुंभकरण जैसे बड़े-बड़े योद्धा थे. लेकिन रामायण में एक योद्धा इन सबसे ज्यादा शक्तिशाली था.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण का पुत्र मेघनाथ इस संग्राम का सबसे ताकतवर योद्धा था.
कथाओं के मुताबिक रावण के घर जब पुत्र ने जन्म लिया तो उसके रोने की आवाज बिजली के कड़कने जैसी थी.
यही कारण था कि रावण ने अपने बेटे का नाम मेघनाद रखा. मेघनाथ का अर्थ है बादलों में कड़कती हुई बिजली.
मेघनाद को देव अस्त्रों का भी खासा ज्ञान था, जिससे वो काफी ताकतवर हो गया. यही कारण है था कि अकेला राम की पूरी सेना पर भारी था.
लंका युद्ध में मेघनाद अकेला ऐसा वीर था जिसके पास ब्रह्मास्त्र समेत पशुपत्रास्त्र और वैश्णवास्त्र थे.
पौराणिक कथाओं के मुताबिक दानव और देवों के बीच हुए एक युद्ध में रावण के पुत्र मेघनाद ने अकेले ही इंद्र को पराजित कर दिया था.
इंद्र को हराने के बाद वो उन्हें बंदी बनाकर अपने साथ ले जाने लगा तो ब्रह्मा ने उन्हें छोड़ने के लिए एक वरदान मांगने को कहा.
इंद्र को आजाद करने के लिए मेघनाद ने ब्रह्मा से सदा अमर रहने का वरदान मांगा. ब्रह्मा ने इनकार किया और उन्हें युद्ध में कभी परास्त ना होने का वरदान दिया.
साथ ही ये भी कहा था कि हर युद्ध से पहले उसे अपने पर्थयांगिरा देवी के लिए यज्ञ करना होगा. ब्रह्मा ने ही मेघनाद को इंद्रजीत नाम दिया था.
इसके साथ वरदान देते समय ब्रह्मा जी ने कहा था कि उसका वध ऐसे वीर के हाथों होगा जो 14 साल से सोया न हो.
कुंभकरण का वध होने के बाद युद्ध भूमि पर कदम रखते ही मेघनाथ ने कोहराम मचाया हुआ था.
तब रावण के भाई और उसके काका विभीषण ने उसकी मृत्यु के बारे में बताया. बाद में मेघनाद रणभूमि में लक्ष्मण के हाथों वीरगति को प्राप्त हुआ.
लक्ष्मण ही केवल उसे मार सकते थे. क्योंकि वह वनवास के समय वह 14 साल तक नहीं सोए थे.
पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.