अनिता भटनागर जैन का जन्म दो नवंबर 1959 को लखनऊ में हुआ.
1985 में वह भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी बनीं.
महानगरों में परिंदों की कम होती संख्या से चिंतित हुईं तो उन्होंने ‘दिल्ली की बुलबुल’ के नाम से एक सुंदर कहानी संग्रह की रचना भी की.
बाल कथा साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए अमृतलाल नागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
अनिता भटनागर जैन के 50 से अधिक लेख तथा यात्रा संस्मरण विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं.
वर्तमान में अनिता पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम कर रही हैं.
लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए उन्होंने ‘‘‘हमारी पृथ्वी हमारा घर’’ नाम से एक फिल्म का निर्माण भी किया, जिसे यूनेस्को द्वारा प्रदर्शित किया गया.
सरकारी विभागों में अपने दायित्वों को बखूबी निभाते हुए अक्टूबर 2020 में रिटायर्ड हुईं.
देश-विदेश की प्रतिस्पर्धाओं में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों और उनके प्रशिक्षकों को भी सम्मानित करने में कोई कमी नहीं छोड़ी.
प्रशाासनिक अधिकारी के तौर पर उन्हें उत्तर प्रदेश में खेलों के विकास और खेलों में लड़कियों की भागीदारी बढ़ाने का श्रेय दिया गया है.